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जनसंख्या प्रतिशत ही आरक्षण का आधार नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
01/04/22
in राष्ट्रीय, समाचार
जनसंख्या प्रतिशत ही आरक्षण का आधार नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जनसंख्या का प्रतिशत किसी समुदाय को आंतरिक रिजर्वेशन देने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने वन्नियार समुदाय को तामिलनाडु सरकार द्वारा सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में रिजर्वेशन देने के फैसले को खारिज करते हुए उक्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा वन्नियार समुदाय को 10.5 फीसदी रिजर्वेशन दिया जाना संविधान के अनुच्छेद-14, 15 और 16 का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट ने विस्तार से दिए फैसले में यह भी कहा कि जस्टिस थानिकाचलम की सिफारिश पर राज्य सरकार ने जो वन्नियार समुयाद को रिजर्वेशन दिया था उस सिफारिश में कहा गया था कि रिजर्वेशन दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस सिफारिश में जो आधार बताया गया है वह सही नहीं है क्योंकि अगर किसी समुदाय को सिर्फ जनसंख्या के आधार पर वर्गीकरण किया जाता है और कोई वस्तुनिष्ठ (ऑब्जेक्टिव) क्राइटेरिया नहीं है तो वह आंतरिक रिजर्वेशन सुप्रीम कोर्ट द्वारा जरनैल सिंह और इंदिरा साहनी जजमेंट में दी गई व्यवस्था के खिलाफ है।

सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी और जरनैल सिंह जजमेंट में कहा था कि रिजर्वेशन के लिए अपर्याप्त प्रतिनिधित्व होना चाहिए। अपर्याप्त प्रतिनिधित्व और आनुपातिक प्रतिनिधित्व अलग-अलग बातें हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी जजमेंट का हवाला देकर यह भी कहा कि है कि बैकवर्ड क्लास में सब क्लासिफिकेशन यानी उप वर्गीकरण भी हो सकता है और उसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन सब क्लासिफिकेशन कानून के तहत तार्किक है या नहीं ये बाद में देखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने वन्नियार समुदाय के लिए दिेए गए रिजर्वेशन को खारिज करते हुे कहा कि इसके लिए कोई डाटा नहीं है जो इसको सपोर्ट करता हो।

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