लखनऊ। जरूरतमंद बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रही सामाजिक संस्था रूबरू एक्सप्रेस ने आज अपना पांचवा वार्षिकोत्सव जानकीपुरम की उमा वाटिका में धूमधाम से मनाया। कामगारों के इन बच्चों ने मनोहरी प्रस्तुतियों से सभी का दिल जीत लिया। वालिंटियर सार्थक शुभम एवम साहिल सिंह को शिक्षण कार्य के लिए संस्था ने ‘रूबरू सम्मान’ से विभूषित किया। क्षेत्रीय सभासद प्रतिनिधि सौरभ तिवारी और संस्थापक कल्पना वार्ष्णेय ने दोनों शिक्षकों को सम्मानित किया।
मां सरस्वती और गणेश लक्ष्मी के पूजन अर्चन से प्रारंभ हुए वार्षिकोत्सव में बच्चों ने अपनी कला का भी प्रदर्शन किया। एक बच्चे ने गणेश लक्ष्मी का चित्र बनाया और दूसरे में दीप बनाकर दीपावली की शुभकामनाएं प्रेषित की। एक छोटे से बच्चे ने सौरमंडल बनाकर सभी की वाहवाही लूटी। छोटे-छोटे बच्चों ने पोयम और कविताएं सुनाईं।
शिल्पी, सोनल, स्वाती, बिट्टू, परी, मधु, सौम्या और प्रियांशी ने कार्यक्रम प्रस्तुत करके सभी का मन मोह लिया। उत्सव में तमाम लोग बच्चों के लिए उपहार लेकर भी पहुंचे। उत्सव में मुकेश वार्ष्णेय, विनय श्रीवास्तव, श्रीमती उपमा दीक्षित, राजीव वार्ष्णेय, संरक्षक संजीव गुप्ता, शिक्षिका सविता वार्ष्णेय, राजेश जायसवाल, राकेश श्रीवास्तव, राजीव कपूर,अरुणेश श्रीवास्तव, अजयवीर सिंह,विनोद श्रीवास्तव, अमर गौतम, सुभाष दीक्षित,अरविंद त्रिपाठी, डीपी तिवारी, विभा श्रीवास्तव, हरि शंकर मिश्र, राकेश श्रीवास्तव, राजेश जायसवाल तथा अन्य कॉलोनी वासियों का सहयोग रहा।
शिल्पी, सोनल, स्वाती, बिट्टू, परी, मधु, सौम्या और प्रियांशी ने कार्यक्रम प्रस्तुत करके सभी का मन मोह लिया। उत्सव में तमाम लोग बच्चों के लिए उपहार लेकर भी पहुंचे। उत्सव में मुकेश वार्ष्णेय, विनय श्रीवास्तव, श्रीमती उपमा दीक्षित, राजीव वार्ष्णेय, संरक्षक संजीव गुप्ता, शिक्षिका सविता वार्ष्णेय, राजेश जायसवाल, राकेश श्रीवास्तव, राजीव कपूर,अरुणेश श्रीवास्तव, अजयवीर सिंह,विनोद श्रीवास्तव, अमर गौतम, सुभाष दीक्षित,अरविंद त्रिपाठी, डीपी तिवारी, विभा श्रीवास्तव, हरि शंकर मिश्र, राकेश श्रीवास्तव, राजेश जायसवाल तथा अन्य कॉलोनी वासियों का सहयोग रहा।
रायबरेली से दिव्यांग सबा ने भेजा उपहार
गरीब बच्चों की पढ़ाई के प्रति समवर्ती संस्था रूबरू एक्सप्रेस से प्रभावित होकर रायबरेली की दिव्यांगता से ग्रसित सबा शकील ने भी बच्चों के लिए उपहार भेजें। सबा मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नामक का इलाज मर्ज से ग्रसित है। वह चल फिर नहीं सकती लेकिन घर पर ही दो दर्जन गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाती हैं।
कल्पना की ‘कल्पना’ अब हो रही साकार
घर में काम करने वाली महिलाओं के बच्चों को पढ़ने के लिए यह पहला वर्ष 2018 में जानकीपुरम के बाकी बिहारी कुंज में रहने वाली श्रीमती कल्पना वार्ष्णेय ने प्रारंभ की थी। उनके इस प्रयास से आसपास के करीब दो दर्जन परिवार जुड़ गए हैं। बच्चों की संख्या भी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। उमा वाटिका में वटवृक्ष के नीचे चलने वाले इस स्कूल में कामगारों के 50 बच्चे रोज आते हैं।