मॉस्को: रूस और उत्तर कोरिया के बीच गहराते सैन्य रिश्तों की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में गुरुवार को जारी एक अंतरराष्ट्रीय निगरानी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रूस ने उत्तर कोरिया को अपनी एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक जैमर और सैन्य सहायता पहुंचाई है. ये सब संयुक्त राष्ट्र के सख्त प्रतिबंधों के बावजूद हो रहा है.
बहुपक्षीय निगरानी समूह (MSMT) की इस रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2024 से रूस ने उत्तर कोरिया को ‘पैंटिर’ मोबाइल वायु रक्षा सिस्टम और लड़ाकू वाहन सौंपे हैं. यह वही प्रणाली है जो सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और तोपों से लैस होती है, यानी दुश्मन के विमान या मिसाइलों को आसमान में ही ढेर कर देने में सक्षम.
पैंटिर डिफेंस सिस्टम के मिसाइल की स्पीड ब्रह्मोस से भी तेज है. हालांकि ब्रह्मोस और इसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि पैंटिर जहां शॉर्ट-रेंज एयर डिफेंस सिस्टम है तो वहीं ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. रेंज के मामले में ब्रह्मोस आगे है. यह 650 किमी तक हमला कर सकती है. वहीं पैंटिर 1.2 से 20 किमी की रेंज तक आने वाली मिसाइलों को मार सकती है. हालांकि स्पीड में यह ब्रह्मोस से आगे हैं. पैंटिर की स्पीड 3.2 मैक हो सकती है. वहीं ब्रह्मोस की स्पीड 3 मैक होती है.
इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले MSMT समूह की शुरुआत पिछले साल अक्टूबर में अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने मिलकर की थी, जब रूस के वीटो के चलते संयुक्त राष्ट्र का विशेषज्ञ पैनल भंग हो गया था. अब इस नए निगरानी ढांचे में 11 देश शामिल हैं – जिनमें फ्रांस, ब्रिटेन, जापान और जर्मनी जैसे बड़े नाम भी हैं.
20,000 कंटेनरों में हथियार
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उत्तर कोरिया ने सितंबर 2023 से रूस को भारी मात्रा में हथियार भेजे – लगभग 20,000 कंटेनरों के जरिए. इनमें 9 मिलियन से ज्यादा आर्टिलरी राउंड्स, सैकड़ों मिसाइलें, भारी तोपें और एंटी-टैंक गाइडेड हथियार शामिल हैं. यह मात्रा इतनी है कि तीन पूरी ब्रिगेड को हथियारबंद किया जा सके.
हथियारों की हवाई डिलीवरी
रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर-दिसंबर 2023 के बीच रूसी वायुसेना के IL-76 और AN-124 जैसे सैन्य विमानों ने हथियारों की डिलीवरी की. रूस ने उत्तर कोरिया की मिसाइल गाइडेंस तकनीक को बेहतर करने में भी मदद दी – जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन है, जिन पर खुद रूस ने भी हस्ताक्षर किए थे.
हर जगह समझौते की अनदेखी
रूस ने पिछले साल उत्तर कोरिया को 1 मिलियन बैरल से ज्यादा तेल भेजा, जबकि प्रतिबंधों के अनुसार यह सीमा 5 लाख बैरल सालाना है. यही नहीं, करीब 8,000 उत्तर कोरियाई मजदूरों को रूस भेजा गया, जो भी प्रतिबंधों का उल्लंघन है. दोनों देशों के बीच वित्तीय लेन-देन जॉर्जिया के विवादित क्षेत्र दक्षिण ओसेशिया के जरिए हो रहे हैं.