मॉस्को l रूस ने यूक्रेन से जारी युद्ध के बीच दो नई परमाणु पनडुब्बियां तैयार कर ली हैं। परमाणु शक्ति से चलने वाली ये पनडुब्बियां पारंपरिक के साथ परमाणु मिसाइलों को भी लॉन्च कर सकती हैं। हाल के दिनों में रूस और अमेरिका के बीच टकराव काफी ज्यादा बढ़ा है, ऐसे में इन दोनों परमाणु पनडुब्बियों की भूमिका काफी अहम रहने वाली है। रूस इन पनडुब्बियों के जरिए अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियरों की बादशाहत को चुनौती दे सकता है। इन पनडुब्बियों को रूस के उत्तरी शहर सेवेरोडविंस्क के विशाल सेवमाश शिपयार्ड में तैयार किया गया है। बताया जा रहा है कि व्हाइट सी की जमी हुई बर्फ पिघलते ही इन पनडुब्बियों को परीक्षण शुरू कर दिया जाएगा।
रूस की दो पनडुब्बियां लॉन्चिंग को तैयार
रूस की पहली पनडुब्बी का नाम जनरलसिमो सुवोरोव है। यह चौथी पीढ़ी की बोराई-ए क्लास की रणनीतिक पनडुब्बियों में से एक है। यह पनडुब्बी 16 बुलावा बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस होगी, जिनमें से हर एक मिसाइल अपने साथ छह परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम होगी। वहीं, दूसरी पनडुब्बी यासेन-एम क्लास की क्रास्नोयार्स्क है। शिपयार्ड के अपने टीवी-समाचार चैनल वेस्टी सेवामाश की रिपोर्ट में बताया गया है कि दोनों पनडुब्बियों को अब कमीशनिंग टीम के हवाले कर दिया गया है। डिलीवरी टीम के प्रमुख मिखाइल फेड्यानेव्स्की ने कहा कि सभी काम शेड्यूल के अनुसार किए जा रहे हैं।
परमाणु मिसाइलों से हमला कर सकती हैं ये दोनों पनडुब्बियां
क्रास्नोयार्स्क पनडुब्बी के लिए एकमात्र समारोह पिछले साल जुलाई में आयोजित किया गया था। सोवियत काल के अंत में बने पुराने अटैक पनडुब्बियों के उलट यासेन-एम क्लास की पनडुब्बियां मल्टी परपज होती हैं। ये एक साथ अलग-अलग तरह की कई मिसाइलों को ढो सकती हैं। इस पनडुब्बी के सबसे खतरनाक हथियारों में नई लंबी दूरी की त्सिरकोन (जिरकॉन) हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इस पनडुब्बी में 10 वर्टिकल लॉन्च मिसाइल साइलो बने हुए हैं। जिसमें से एक समय में ही दस मिसाइलों को एक के बाद एक फायर किया जा सकता है।
रूस की सैन्य तैयारियों पर प्रतिबंधों का असर नहीं
अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बाद रूस के मौजूदा आर्थिक मंदी के बावजूद वमाश शिपयार्ड ने अपने मिशन को अंजाम देकर दिखाया है। इस शिपयार्ड ने पहले ही कहा था कि वह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेशों को पूरी तरह से पालन करने लिए तैयार है। यह शिपयार्ड वर्तमान में रूसी नौसेना के आधुनिकीकरण के लिए अलग-अलग तरह की कई पनडुब्बियों और युद्धपोतों को बना रही है।
रूसी सेना के आधुनिकीकरण के लिए संकल्पित हैं पुतिन
बैरेंट्स ऑब्जर्वर से बात करते हुए नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर, कटारजीना जिस्क ने कहा कि पुतिन अपनी सेना का आधुनिकीकरण करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। ये पनडुब्बियां भी उसी का हिस्सा हैं। बोराई और यासेन क्लास की पनडुब्बियां रूसी नौसेना की रीढ़ मानी जाती हैं। इन पनडुब्बियों का इस्तेमाल रक्षात्मक और आक्रामक दोनों तरीकों से किया जाता है।
नाटो की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
रूस और नाटो यूक्रेन संकट पर आमने-सामने हैं। नाटो कई बार रूस को यूक्रेन पर हमले रोकरने के लिए धमका चुका है। इतना ही नहीं, नाटो ने यूक्रेन को रूस का मुकाबला करने के लिए बड़ी मात्रा में हथियार और इंटेलिजेंस इनपुट दिया है। वहीं, रूस नाटो को सीधे तौर पर अपने देश के लिए खतरा मानता है। ऐसे में इन पनडुब्बियों का इस्तेमाल पूर्वी यूक्रेन में अमेरिका और नाटो की ताकत पर लगाम लगाने के लिए किया जा सकता है। रूस की पनडुब्बियों पूरी दुनिया में अपनी ताकत के लिए जानी जाती हैं। ऐसे में इन पनडुब्बियों की तैनाती काला सागर और बॉल्टिक सागर के इलाके में की जा सकती है।