नई दिल्ली। यूक्रेन-रूस युद्ध को अब करीब तीन साल होने को हैं। दोनों देश एक-दूसरे पर लगातार हमले जारी रखे हुए हैं। रूस पर इस युद्ध को लंबा खींचने के आरोप लगते रहे हैं। इस बीच रूसी मीडिया की रिपोर्ट्स में कहा गया है कि रूस का विमानन उद्योग एक बड़े और आसन्न संकट में फंसता जा रहा है। रूसी दैनिक इजवेस्टिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस की 30 एयरलाइन कंपनियां दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई हैं। ये 30 कंपनियां कुल मिलाकर समेकित रूप से घरेलू यात्री यातायात का 25 फीसदी भार वहन करती हैं लेकिन बढ़ते वित्तीय बोझ की वजह से अगले साल 2025 में दिवालिया हो सकती हैं।
दिवालियापन के मुंहाने खड़ी ये विमानन कंपनियां छोटे और मध्यम आकार की हैं, जिसने विदेशी विमानों को पट्टे पर ले रखा है। इस वजह से उन पर भारी कर्ज का बोझ है। यूक्रेन से युद्ध छिड़ने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा रखा है, जिसकी वजह से इन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। 30 में से अधिकांश कंपनियों ने विमान पट्टे की किस्त अदायगी बंद कर दी है, जिससे उन पर कर्ज का बोझ और बढ़ गया है। हालांकि, राष्ट्रपति पुतिन ने इन कंपनियों को राहत देने के लिए कुछ कर्ज माफी की योजना बनाई है लेकिन उससे इन कंपनियों पर टैक्स का बोझ बढ़ गया है।
25 फीसदी टैक्स का भी बोझ
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर सरकार ने इन एयरलाइन कंपनियों के कर्ज को बट्टे खाते में डाला तो उस राशि पर उन्हें 25 फीसदी तक टैक्स देना होगा। इससे विमानन कंपनियों पर बोझ और बढ़ जाएगा। इनमें से अधिकांश कंपनियों ने बरमूडा, आयरलैंड और यूरोप में रजस्टर्ड विमानों को पट्टे पर लिया था। अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की वजह से इन विमानन कंपनियों को रखरखाव सेवाओं के लिए ईरान, तुर्की और चीन की कंपनियों पर निर्भर होना पड़ा है। इससे उनकी लागत और अधिक हो गई है।
विमानों के रख-रखाव ने किया बेदम
रिपोर्ट में कहा गया है कि A-320 एयरबस विमान के रखरखाव के लिए औसतन 80,000 से 1,25,000 अमेरिकी डॉलर का मासिक भुगतान करना पड़ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, रखरखाव लागत एयरलाइन कंपनियों को बेदम कर रहा है। बता दें कि यूक्रेन से जंग छिड़ने के बाद मार्च 2022 में एयरबस और बोइंग जैसी पश्चिमी विमान निर्माता कंपनियों ने विमानों के कल पुर्जे की सप्लाई और अन्य सहायता रोक रखी है। रूस ने इन घाटों से उबरने के लिए विमानन सेक्टर में 12 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है, बावजूद संकट नहीं टल सका है।
उड़ानें करनी पड़ रहीं रद्द, पायलट छोड़ रहे नौकरी
आर्थिक संकट की वजह से पायलट से लेकर अन्य स्टाफ ने काम छोड़ दिया है। इससे विमानों के परिचालन पर बुरा असर पड़ा है। स्टाफ की कमी की वजह से जुलाई में ही शेरेमेत्येवो इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 68 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। रूस इस संकट से उबरने के लिए पड़ोसी छोटे टेशों से मदद मांग रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस कजाकिस्तान और उजबेकिस्तान समेत अन्य मध्य एशियाई देशों से बातचीत कर रहा है ताकि उसे घरेलू उड़ानों को संचालित करने में सुविधा हो सके। रूसी परिवगन मंत्री ने इसकी पुष्टि की है।