मॉस्को: पाकिस्तान में तैनात अमेरिकी राजदूत डेविड ब्लोम ने पिछले दिनों पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) को आजाद कश्मीर करार दे दिया था। अमेरिका की तरफ से इस पर कुछ नहीं कहा गया और इस बयान को पाकिस्तान के लिए बढ़ते प्यार की एक और निशाना माना गया। लेकिन भारत के दोस्त रूस ने अमेरिका को करार झटका दिया है। रूस के एक नक्शे में पूरे पीओके को भारत का हिस्सा दिखाया गया है। हालांकि रूस हमेशा पीओके पर बयान देने से बचता आया है और जम्मू कश्मीर को कई बार आंतरिक मसला करार दे चुका है।
एक असाधारण बात
शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की तरफ से एक इंफ्राग्राफिक न्यूज एजेंसी स्पूतनिक ने पब्लिश किया है। इसके जरिए पिछले कुछ वर्षों में एससीओ की वृद्धि को दर्शाया गया है। इसी इंफोग्राफिक में पीओके को भारत का हिस्सा बताया गया है। सिर्फ इतना ही नहीं अक्साई चिन जो चीन के कब्जे में है, उसे और अरुणाचल प्रदेश को भी भारत का अंग दिखाया गया है।
यह निश्चित तौर पर भारत के लिए एक असाधारण बात है। रूस हमेशा यह कहता आया है कि जम्मू कश्मीर, भारत और पाकिस्तान का आपसी मसला है जिसे द्विपक्षीय वार्ता से सुलझाया जाना चाहिए। जबकि यूरोप और अमेरिका की तरफ से कई बार इस मसले पर कई मौकों पर बात हो चुकी है।
पाकिस्तान की कोशिशें फेल
पाकिस्तान कई बार प्रयास कर चुका है कि वह जम्मू कश्मीर मसले पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन हासिल करे। कई बार उसने इस पर कब्जे का प्रयास भी किया। हर बार वह मुंह की खाता है और विश्व समुदाय के सामने उसे शर्मिंदा भी होना पड़ता है। इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लोम के चार अक्टूबर को हुए एक ट्वीट ने भारत और अमेरिका के रिश्तों पर सवालिया निशान लगा दिया है।
पीओके का दौरा करने के बाद ब्लोम ने पीओके को आजाद कश्मीर कहकर संबोधित कर दिया। जबकि वह भारत के हिस्से वाला कश्मीर है। उनकी इस ट्वीट से बवाल मचा गया था। अभी तक अमेरिका ने कश्मीर पर किसी का भी पक्ष नहीं लिया है। लेकिन अब इस मामले में अमेरिका के रवैये को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।
अमेरिका का रवैया हैरानी भरा
अमेरिका ने हमेशा से ही यह कहा कि कश्मीर का मसला द्विपक्षीय वार्ता से ही सुलझाया जा सकता है। लेकिन जब यह ट्वीट आया तो एक नई बहस शुरू हो गई। ब्लोम ने यह ट्वीट ऐसे समय पर किया जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा अमेरिका के दौरे पर थे। इससे पहले एफ-16 को अपग्रेड करने के लिए पाकिस्तान को दी गई अमेरिकी मदद से भारत पहले ही नाराज चल रहा था। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का प्रशासन जिस तरह से बर्ताव कर रहा है, उससे तो यही लग रहा है कि उसकी मंशा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनकी सरकार को खुश करने की है।