सरकार ने आज थोक महंगाई (Wholesale Inflation) के आंकड़ें जारी किए हैं, पिछले हफ्ते रिटेल महंगाई (Retail Inflation) के आंकड़ें आए थे. थोक महंगाई दो साल के लोअर लेवल पर है और रिटेल महंगाई एक साल के निचले स्तर पर है. सरकार ने महंगाई के कम होने के दो प्रमुख कारणों को गिनाया है. पहला है फूड इंफ्लेशन (Food Inflation) और दूसरा है क्रूड ऑयल.
अगर बात क्रूड ऑयल की बात करें तो मार्च 2022 के लेवल से करीब 50 डॉलर प्रति बैरल तक कम हो चुके हैं. यह तुलना मौजूदा इंटरनेशनल मार्केट से है, लेकिन साल 2022 में जिस तरह से सस्ता रूसी तेल (Russia Crude Oil) खरीदा गया है, उसने महंगाई को कम करने में काफी अहम योगदान दिया है. आइए आंकड़ों के जरिये समझाने का प्रयास करते हैं.
कच्चे तेल के आयात का महंगाई से कनेक्शन
कच्चे तेल के आयात का महंगाई से डायरेक्ट कनेक्शन है. भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से क्रूड ऑयल इंपोर्ट करते हैं. जब-जब इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम बढ़ते हैं तो भारत का इंपोर्ट बिल बढ़ जाता है और देश में पेट्रोल और डीजल के दाम साथ कई सामानों के दाम बढ़ जाते हैं, ऐसे ही कच्चा तेल सस्ता होता है तो भारत का इंपोर्ट बिल बढ़ता है तो इंपोर्ट बिल कम होता है और पेट्रोल और डीजल के साथ बाकी सामान के दाम भी कम हो जाते हैं, जिसमें खाद्य पदार्थ भी शामिल हैं. ऐसे में क्रूड ऑयल के इंपोर्ट का सीधा कनेक्शन महंगाई के साथ भी है.
देश के लिए वरदान साबित हुआ रूसी ऑयल
जब से रूस यूक्रेन का युद्ध शुरू हुआ है और रूस और उसके तेल पर प्रतिबंध लगा है. तब से भारत को रूस से इंटरनेशनल कीमतों के मुकाबले डिस्काउंट प्राइस पर तेल मिल रहा है. कुछ महीने पहले अमेरिका और यूरोप ने रूसी ऑयल प्राइस पर कैप यानी 60 डॉलर तय कर दिया था, तब से तो भारत को इससे भी सस्ता तेल मिल रहा है. ओपेक देशों के ब्रेंट क्रूड ऑयल के मुकाबले रूसी ऑयल भारत को 50 फीसदी सस्ता पड़ रहा है. मौजूदा समय में ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 84.86 डॉलर प्रति बैरल पर पर हैं. जबकि रूसी ऑयल अमेरिका और यूरोप की ओर से लगाए प्राइस कैप से 15 से 20 डॉलर सस्ता मिल रहा है.
भारत के लिए कैसे वरदान साबित हुआ रूसी तेल?
अब यह बात समझने की जरूरत है कि आखिर रूसी तेल भारत के लिए कैसे वरदान साबित हुआ है. वास्तव में भारत के लिए रूस मौजूदा समय में सबसे बड़ा क्रूड ऑयल सप्लायर बन गया है. एनर्जी कार्गो ट्रैकर वोर्टेक्सा के डाटा के अनुसार भारत ने दिसंबर में पहली बार रूस से 10 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का आयात किया. रूस ने अकेले दिसंबर में भारत को 1.19 मिलियन बीपीडी कच्चे तेल की सप्लाई सप्लाई की. वोर्टेक्सा रिपोर्ट के अनुसार, यह नवंबर में रूस से आयात किए गए कच्चे तेल के 909,403 बीपीडी और अक्टूबर 2022 में 935,556 बीपीडी से ज्यादा था.
रूस से सबसे अधिक कच्चे तेल के आयात का पिछला रिकॉर्ड तब था जब भारत ने जून 2022 में 942,694 बीपीडी खरीदा था. भारत के कुल कच्चे तेल के आयात का 25 फीसदी रूस की ओर से किया जा रहा है. भारत को कच्चे तेल का निर्यात उस समय चरम पर था जब यूरोपीय संघ और अमेरिका ने रूस के समुद्री तेल पर प्राइस कैप लगा दिया था. खास बात तो ये है कि भारत ने दिसंबर के महीने एक साल पहले की तुलना में 33 गुना अधिक रूसी तेल इंपोर्ट किया था.
दुनिया के बाकी देशों की हिस्सेदारी
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल खपत करने वाला और आयात करने वाला देश है. यह अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. रिफाइनरियों में कच्चे तेल को पेट्रोल और डीजल जैसे फ्यूल में परिवर्तित किया जाता है. वोर्टेक्सा ने कहा कि भारत ने दिसंबर में इराक से 803,228 बीपीडी और सऊदी अरब से 718,357 बीपीडी तेल का आयात किया. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने दिसंबर 2022 में 323,811 बीपीडी तेल बेचकर भारत का चौथा सबसे बड़ा सप्लायर बनने के लिए अमेरिका को पीछे छोड़ दिया.
संयुक्त राज्य अमेरिका ने नवंबर 2022 में 405,525 बीपीडी से नीचे 322,015 बीपीडी की सप्लाई की थी. रूस-यूक्रेन संघर्ष से पहले, भारतीय क्रूड बास्केट का 60 फीसदी से अधिक मिडिल ईस्ट क्रूड से भरा था, बाकी नॉर्थ अमेरिकी क्रूड लगभग 14 फीसदी, वेस्ट अफ्रीका का क्रूड लगभग 12 फीसदी और लैटिन अमेरिकी क्रूड 5 फीसदी और रूसी क्रूड की हिस्सेदारी इस बास्केट में मात्र दो फीसदी थी.
महंगाई को कम करने में की मदद
जैसे-जैसे देश में रूसी कच्चा तेल का आयात बढ़ा है, वैसे-वैसे भारत में महंगाई के आंकड़ें भी कम हुए हैं. देश में दिसंबर के महीने में लगातार दूसरे महीने में रिटेल महंगाई आरबीआई के टॉलरेंस लेवल के अंडर में रही. नवंबर के महीने में भारत की खुदरा महंगाई 5.88 फीसदी देखने को मिली थी. जबकि दिसंबर के महीने में महंगाई के आंकड़ें 5.71 फीसदी पर आ गए हैं. जोकि एक साल के लोअर लेवल पर है. आज यानी सोमवार को थोक महंगाई के आंकड़ें भी सामने आ गए हैं. दिसंबर के महीने में थोक महंगाई 4.95 फीसदी पर आ गए हैं, जोकि करीब दो साल के लोअर लेवल पर हैं.
क्या कहते हैं जानकार?
कमोडिटी मार्केट के एक्सपर्ट और केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने कहा कि महंगाई को कम करने में रूसी तेल का बड़ा हाथ रहा है. इसकी वजह से क्रूड ऑयल रिजर्व को तैयार करने और देश के फॉरेक्स रिजर्व को मेंटेन रखने में काफी मदद मिली है. इसलिए जो फॉरेक्स रिजर्व तेजी से गिर रहा था उसमें गिरावट देखने को मिली है.