आनंद अकेला की रिपोर्ट
सीधी। पूरे देश में कोरोना वायरस जैसी महामारी ने दूसरे आपातकाल जैसा आलम खड़ा कर रखा है जिसको लेकर केंद्र और राज्य सरकारें अपील कर रही हैं कि कोरोना जैसे महामारी से बचाने के लिए कोई कर्मचारी ऑफिस ना जाए तो उसका वेतन ना काटें। लेकिन प्रधानमंत्री की इस अपील का संजय टाइगर रिजर्व सीधी कार्यालय पार्क परिक्षेत्राधिकारी पोंडी पर कोई असर नहीं पड़ा है। इसकी वानगी तब देखने को मिली जब बीते छह अप्रैल को 74 श्रमिकों को 30 से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थानांतरण कर दिया गया।
क्या है पूरा मामला?
संजय टाइगर रिजर्व सीधी के पार्क क्षेत्राधिकार पोड़ी में 74 श्रमिकों का स्थानांतरण कर दिया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार श्रमिकों द्वारा विरोध किए जाने पर उन्हें कार्य से पृथक करने का पत्र जारी कर दिया गया। उक्त सभी श्रमिकों द्वारा बताया गया कि कोरोना महामारी में लॉकडाउन के चलते सब कुछ बंद है। जहां घर में दो वक्त का खाना तक नहीं मिल पा रहा है। बताया गया कि फरवरी से वेतन मिला नहीं है जिससे भूखों मरने की नौबत आ गई है तथा घर चलाने में मुश्किल हो रहा है वहीं इस वक्त अधिकारियों द्वारा फेरबदल करके और परेशानी बढ़ा दी गयी है।
क्या कहते हैं इस बारे में अधिकारी?
इस बारे में संजय टाइगर रिजर्व के ज्वाइंट डायरेक्टर अशोक कुमार ने बताया कि जंगलों की सुरक्षा हेतु फेरबदल किया गया होगा क्योंकि गर्मी का मौसम आते ही जंगल में आग लगने की सबसे बड़ी समस्या रहती है। फिर भी मैं डिप्टी रेंजर को बोलता हूं जिन श्रमिकों को आने जाने की एवं कुछ भी समस्या होगी उस समस्या का समाधान किया जाएगा तथा श्रमिकों की पूरी सहायता की जाएगी।
निराश्रितों के लिए ऐसा क्यों?
आज पूरा विश्व लाकडाउन के लिए कारण घर के अंदर कैद करने के लिए मजबूर है। सीधी में भी कमोबेश यही कहानी है। ऐसे वक्त में इन श्रमिकों को 40 किलोमीटर दूर स्थानांतरण करना समझ से परे हैं। अधिकारियों की यह बात समझ से परे हैं कि लाकडाउन के उस वक्त जब एक व्यक्ति एक चौराहे से दूसरे चौराहे की दूरी बड़ी मुश्किलों से तय कर पा रहा है उस वक्त आखिर बड़ी संख्या में श्रमिकों का स्थानांतरण का निर्णय क्यों लिया गया? जब पूरे विश्व में लोग एक दूसरे को निवाला देने की व्यवस्था कर रहे हैं उस वक्त पार्क प्रबंधन के कर्मचारी श्रमिकों की रोजी रोटी क्यों छीन रहे हैं। काम करने के बावजूद आखिर श्रमिकों को फरवरी महीने से सैलरी क्यों नहीं दी गई। क्या पूरे विभाग में किसी अधिकारी या कर्मचारी को फरवरी की सैलरी नहीं मिली है, इसलिए इन श्रमिकों के वेतन का भुगतान का नहीं किया गया है।