राजेश शर्मा
इंदौर l भारत में फरवरी 2019 में केंद्र सरकार ने एक विधेयक पारित करके 10% सवर्ण आरक्षण लागू तो कर दिया, लेकिन इसका लाभ मिलना अभी तक शुरू नहीं हुआ l 2019 के कुछ एग्जाम हुए जिसमें 10% सवर्ण आरक्षण का लाभ मिलना शुरू हुआ, लेकिन कुछ वक्त बाद ही इस आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी गई और कह दिया गया कि आरक्षण समानता के अधिकार से मेल नहीं खाता फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और इसके साथ ही उन परीक्षार्थियों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है l जिनको उम्मीद थी कि शायद 10% कोटे में प्रतियोगी परीक्षाओं में उनका चयन हो सके मध्य प्रदेश पीएससी में 2019 में 10% ईडब्ल्यूएस कोटे का प्रावधान तो रखा गया, लेकिन पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर सहमति नहीं बनी l अब मामला हाई कोर्ट के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट में चला गया, ऐसे में 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण की चाह में परीक्षार्थी बस सर्टिफिकेट ही बनवा सके l अभी तक उनको लाभ न मिल सका, खास बात तो यह रही कि हाल ही में मध्य प्रदेश सिविल जज 2020 परीक्षा के भी आवेदन भरने की तिथि आ गई, लेकिन उस विज्ञापन में भी 10% सवर्ण आरक्षण को जगह नही दी गई l हालांकि अभी तक जितने भी एग्जाम हुए भारत में जुडिशल में कभी भी 10 सवर्ण आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया जबकि जब इसे लागू किया गया था, तब कहा गया था कि सभी परीक्षाओं में सवर्ण आरक्षण को लागू किया जाएगा लेकिन अगर 2019 की बात करें उस वक्त तो विज्ञापन निकल चुका था l अब जब 2020 में विज्ञापन आया तो छात्रों ने सोचा था कि 10% आरक्षण के चलते थोड़ी सहूलियत होगी लेकिन यहां पर तो पूरा मामला ही पलट गया जो कार्ड बना कर रखे गए थे बे बेकार हो गए।
मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार तो उसके पहले कमलनाथ सरकार भी रही असफल
भारत में सवर्ण आरक्षण के तहत 10% कोटा लागू तो कर दिया गया लेकिन कानूनी उलझन में यह पड़ गया वैसे भी वैकेंसी कम आई और जब वैकेंसी आई तो कोर्ट में चुनौती दे दी गई पहले पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई l उसके बाद लगातार चुनौती का सिलसिला जारी है एमपीपीएससी 2019 का परिणाम भी पेंडिंग है तो 2020 में भी जीरो ईयर साबित हो रहा है l जिसमें की छात्रों का 1 साल बर्बाद ही हो रहा है l वे लगातार उम्मीद कर रहे थे कि वैकेंसी आएंगी लेकिन 2019 परीक्षा का परिणाम ही अभी निकल कर नहीं आया उसके बाद मुख्य परीक्षा होगी लेकिन यह तब संभव होगा जब आरक्षण का मसला सुलझा लिया जाए लेकिन यह अभी फिलहाल संभव नहीं नजर आ रहा है l
ज्यूडिशियल में भी द ईडब्ल्यूएस आरक्षण की मांग
मध्य प्रदेश सिविल जज की परीक्षा का संचालन वैसे तो मध्यप्रदेश हाईकोर्ट करता है लेकिन यह पद तो विधि विधायी विभाग द्वारा ही संचालित किए जाते हैं, ऐसे में सवाल यह है कि आखिर 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण यहां पर क्यों लागू नहीं किया गया है जबकि उत्तराखंड में 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण लागू किया गया तो वहीं गुजरात में भी मामला हाईकोर्ट में है तो हिमाचल प्रदेश में भी कोर्ट में यह मामला उलझा हुआ है l ऐसे परीक्षार्थियों के मन में यही है कि अगर 10 प्रतिशत आरक्षण मिलता तो खासकर सवर्णों के लिए यह फायदेमंद होता है और यही सोच कर विधेयक को केंद्र सरकार ने लाया था लेकिन, जब इसमे दर्जनों याचिकाएं लगी है और लगातार सुनवाई चल रही है तो अब आरक्षण सामान्य वर्ग को मिलना मुश्किल हो रहा है l ऐसे में सवाल यही उठता है कि क्या राज्य और केंद्र सरकारें कोई बीच का रास्ता निकाल पाएंगी या 10% सवर्ण आरक्षण इसी तरह से दूर की कौड़ी साबित होता रहेगा।