रायबरेली। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी स्मृति दिवस के दूसरे सत्र में देश की नामचीन कवयित्रियों ने अपनी रचनाएं सुनाकर समां बांध दिया। लोग भाव विभोर हो गए। सभागार तालियों से गूंजता। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की स्मृति में स्थानीय फिरोज गांधी कालेज सभागार में संपन्न हुए कार्यक्रम में नई दिल्ली से प्रख्यात कवियत्री श्रीमती सरिता शर्मा श्रीमती पद्मिनी शर्मा, रीवां से डॉक्टर निधि सिंह और सिंगरौली मध्य प्रदेश से विजय लक्ष्मी शुक्ला संवेदना पधारीं। समिति की ओर से छाया शुक्ला, गीता पांडे, प्रतिमा बाजपेई और सुनीता पांडे ने कवयित्रियों का माला पहनाकर प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया।
कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए सरिता शर्मा ने पढ़ा-
चलाओ तीर तुम, मुझको सहन करना ज़रूरी है
ज़हर हो या कि अमृत, आचमन करना ज़रूरी है
विधाता ने मुझे जननी बनाकर जग में भेजा है
सृजन की भूमिका में हूं सृजन करना ज़रूरी है।”
उनकी रचनाएं सुन कर श्रोता वाह वाह कर उठे। सभागार तालियों से गूंज उठा।
इसके बाद डॉ निधि सिंह ने जैसे ही स्वर और लाइन में अपनी यह रचना सुनाई-
“जो व्याप्त विश्व के कण कण में ईश जान लेते हैं
बन अग्रदूत जनहित विष भी अमिय मान लेते हैं
कर वरण लोक मंगल पथ कब अपनी ओर निहारा
ज्योतिर्मय हो जग सारा, ज्योतिर्मय हो जग सारा” श्रोता भाव विभोर हो गए।
गुरुग्राम से आईं प्रख्यात कवियत्री श्रीमती पद्मिनी शर्मा ने अपनी इस कविता-
“भारत की संस्कृति परम् पुनीता बचा लो
कर्मो की अदालत में अपनी गीता बचा लो
मन्दिर तो आजकल में बन ही जायेंगे मगर
कलियुग के रावणों से अपनी सीता बचा लो” से समां बांध दिया।
सिंगरौली से आई विजय लक्ष्मी शुक्ला “संवेदना” ने
“दर्पण भी वफ़ा का मैं दरकने नहीं दूँगी
पानी कभी भी आँख का मरने नहीं दूँगी
मैं अपने बुजुर्गों की आन-बान-शान का
पल्लू कभी भी सर से सरकने नहीं दूँगी”
सुनाकर सभी का दिल जीत लिया। देर रात तक चले कवि सम्मेलन का सभी श्रोताओं ने भरपूर आनंद लिया।
अंत में समिति के महामंत्री अनिल मिश्र ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। इस मौके पर संरक्षक रघुनाथ प्रसाद द्विवेदी, डॉ सुशील चंद्र मिश्रा, शिक्षक नेता लल्लन मिश्र, प्रमोद अवस्थी, ठाकुर प्रसाद सिंह, विजय शंकर अग्निहोत्री, रामेंद्र मिश्रा, राकेश कक्कड़, कृष्ण मनोहर मिश्र, ओपी सिंह, बैंक कर्मचारी नेता विनोद शुक्ला, राजेश द्विवेदी, अमित सिंह, आशू शुक्ला, दीपक तिवारी, शशिकांत अवस्थी, वीरेंद्र विक्रम सिंह, बसंत सिंह बग्गा, डीबी सिंह, पुष्पराज सिंह आदि मौजूद रहे।