नई दिल्ली l सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को पीएम केयर्स फंड के बारे में जानकारी सार्वजनिक करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से इसका ऑडिट कराने की मांग कर रही एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. देश की सबसे बड़ी अदालत की ओर से सुनवाई करने से इनकार के बाद याचिकाकर्ता को अपनी याचिका वापस लेनी पड़ गई. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से इस संबंध में सलाह देते हुए कहा कि अगर याचिकाकर्ता चाहे तो सुनवाई के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट जाकर अपनी याचिका लगा सकता है.
पीएम केयर्स फंड की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहे तो हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है. फिलहाल याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अपनाी याचिका वापस ले ली. जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने याचिकाकर्ता से इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने और मामले में समीक्षा याचिका दायर करने को कहा. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कहा कि हाई कोर्ट ने रिट याचिका में उठाए गए सभी मुद्दों पर विचार नहीं किया. बेंच ने कहा, ‘आपकी यह बात सही हो सकती है कि सभी मुद्दों पर विचार नहीं किया गया. हमें नहीं पता कि आपने क्या तर्क दिया था. आप जाएं और समीक्षा याचिका दायर करें.’
‘पीएम केयर्स’ भारत सरकार का फंड नहीं’
इससे पहले पिछले साल सितंबर में एक सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा गया था कि प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपात राहत कोष ‘पीएम केयर्स’ भारत सरकार का फंड नहीं है और इसकी तरफ से एकत्र किया गया धन भारत की संचित निधि में भी नहीं जाता.
पीएम केयर्स न्यास में मानद आधार पर काम कर रहे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में अवर सचिव ने कोर्ट से बताया कि ट्रस्ट पारदर्शिता के साथ काम करता है और लेखा परीक्षक उसकी निधि की लेखा परीक्षा करता है. यह लेखा परीक्षक भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ओर से तैयार किए गए पैनल का चार्टर्ड अकाउंटेंट होता है.
विपक्ष के निशाने पर पीएम केयर्स फंड
पीएम केयर्स फंड को लेकर विपक्ष लगातार हमला करता रहा है. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार करने आईं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 8 फरवरी को अपने भाषण में कहा था, ‘योगी आदित्यनाथ कह रहे हैं कि उन्होंने चार लाख करोड़ रुपये का निवेश कराया है. वह रुपया कहां गया? क्या आपने उसे पीएम केयर्स फंड में भेज दिया है, उसका तो ऑडिट भी नहीं होगा.’
उन्होंने कहा, ‘अगर हम मुख्यमंत्री राहत कोष का पैसा किसी दुखी विद्यार्थी या मां-बहन को देते हैं तो आप सीबीआई को भेज देते हैं और पीएम केयर्स फंड में आपने सरकार के अधिकारियों, कर्मचारियों और विभिन्न संगठनों और कंपनियों से लाखों करोड़ों रुपए लिए लेकिन उसका ऑडिट नहीं किया जाएगा. किसी को पता ही नहीं चलेगा कि वह पैसा कहां से आया और कहां गया.’