भोपाल: मध्य प्रदेश की खाली एक मात्र राज्यसभा सीट के लिए बीजेपी ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है। मध्य प्रदेश के केन्द्रीय मंत्री जार्ज कुरियन को उम्मीदवार बनाया गया है। जार्ज कुरियन के उम्मीदवार बनते ही एमपी के उन नेताओं को बड़ा झटका लगा है जो राज्यसभा जाने के लिए अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे से खाली हुई सीट पर माना जा रहा था कि मध्य प्रदेश के किसी नेता को राज्यसभा भेजा जा सकता है। जिन दावेदारों का नाम सबसे आगे था उनमें पूर्व सांसद केपी यादव और मध्य प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा शामिल थे।
कौन हैं जार्ज कुरियन?
जार्ज कुरियन फिलहाल मोदी कैबिनेट में मत्स्य पालन, पशुपालन-डेयरी विभाग के राज्य मंत्री हैं। फिलहाल वह राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य नहीं हैं। ऐसे में बीजेपी ने जार्ज कुरियन को उम्मीदवार घोषित किया है। कुरियन केरल के रहने वाले हैं और 1980 से बीजेपी के अलग-अलग मोर्चों में काम कर चुके हैं। लोकसभा चुनाव में इस बार बीजेपी ने केरल में अपना खाता खोला है।
क्यों खाली हुई थी सीट
जिस सीट पर चुनाव हो रहे हैं उस सीट को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने छोड़ा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया 2020 में राज्यसभा के सदस्य बने थे। 2024 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था जिस कारण से इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से चुनाव जीते हैं।
इन नेताओं का कट गया पत्ता
जार्ज कुरियन को राज्यसभा भेजे जाने के साथ ही केपी यादव और नरोत्तम मिश्रा का पत्ता कट गया है। माना जा रहा था कि जातिगत समीकरण को साधने के लिए बीजेपी इन दो में किसी एक नेता को राज्यसभा भेज सकती है। केपी यादव के नाम को लेकर सबसे ज्यादा चर्चाएं थीं। दरअसल, केपी यादव का टिकट काटकर बीजेपी ने गुना शिवपुरी लोकसभा सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को उम्मीदवार बनाया था इसलिए माना जा रहा था कि ओबीसी वोटर्स को साधने के लिए बीजेपी केपी यादव को राज्यसभा भेज सकती है।
अमित शाह ने किया था वादा
केपी यादव के नाम की अटकलें इसलिए भी लगाई जा रही थीं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए प्रचार करने जब अमित शाह गुना आए थे तब उन्होंने कहा था कि केपी यादव की चिंता आप मत करिए पार्टी उनके बारे में सोच रही है। केपी यादव को दिल्ली में जिम्मेदारी दी जाएगी। इस बयान के बाद माना जा रहा था कि उन्हें राज्यसभा भेजा जा सकता है। बता दें कि राजनीति में केपी यादव को ज्योतिरादित्य सिंधिया का कट्टर दुश्मन कहा जाता है।
केपी यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव में गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से चुनाव हराया था। सिंधिया परिवार के किसी भी सदस्य की गुना शिवपुरी लोकसभा सीट पर पहली हार थी। केपी यादव पहले कांग्रेस में सिंधिया के करीबी थे। बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे।