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महायुति में सीट शेयरिंग बन रहा सिरदर्द, BJP को लगेगा झटका?

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
27/07/24
in राजनीति, राज्य
महायुति में सीट शेयरिंग बन रहा सिरदर्द, BJP को लगेगा झटका?
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नई दिल्ली: महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन के लिए एक अनार सौ बीमार जैसे हालात बन गए हैं। आलम यह है कि यहां पर सीट शेयरिंग सिरदर्द बनती जा रही है। एक तरफ भाजपा के सहयोगी दल हिस्सेदारी की उम्मीद में दिल्ली का चक्कर काट रहे हैं। वहीं, भाजपा नेता यह कहकर साथियों को हताश करने में जुटे हैं कि उनकी पार्टी सभी 288 सीटों पर चुनाव लड़े तो बेहतर होगा। गौरतलब है कि हालिया लोकसभा चुनाव में महायुति गठबंधन का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटों में से उसके हिस्से मात्र 17 सीटें आई हैं। वहीं, विपक्षी महाविकास अघाड़ी ने 30 सीटों पर जीत हासिल की है। लोकसभा चुनाव में महायुति के पिछड़ने की कई वजहें थीं और इनमें से एक बड़ी वजह सीट शेयरिंग भी रही। ऐसे में भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में फूंक-फूंककर कदम रखने की तैयारी में है। पिछले कुछ अरसे से महाराष्ट्र में वैसे भी सियासी सुगबुगाहटें काफी तेज हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा एक बार फिर सहयोगियों के लिए पीछे हटती है या नहीं।

महाराष्ट्र में भाजपा ने पहले ही सहयोगियों के लिए काफी समझौते किए हैं। जब महायुति गठबंधन की सरकार बनी तो भाजपा ने सीएम पद एकनाथ शिंदे को दे दिया। लेकिन अब सीट शेयरिंग में पेंच फंस रहा है। एनडीटीवी के मुताबिक भाजपा कुल 150 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रही है। वहीं, सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना 100 सीटों से कम पर राजी होने के लिए तैयार नहीं है। दूसरी तरफ डिप्टी सीएम अजित पवार की पार्टी कम कम से 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बनाए हुए है। अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर कौन समझौता करेगा? जानकारी के मुताबिक अजीत पवार ने साथी डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ गुरुवार को केंद्रीय मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की। इस दौरान महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग पर भी बात हुई।

बताया जाता है कि अजीत पवार पर अपने ही पार्टी सदस्यों का दबाव है। अजीत पवार की पार्टी मेंबर्स का कहना है कि 80-90 सीटों से कम पर समझौता नहीं होना चाहिए। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि अजीत की पार्टी उन सभी सीटों पर चुनाव लड़े जिसे 2019 विधानसभा चुनाव में उस वक्त अविभाजित एनसीपी ने जीता था। इसके अलावा इसमें कम से कम 30 सीटें और जोड़ने की बात हो रही है। गौरतलब है कि शरद पवार के नेतृत्व वाली अविभाजित एनसीपी ने 2019 के चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन करके 120 सीटों पर चुनाव लड़ा था। सत्ताधारी गठबंधन के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अजीत पवार खेमे को भी अंदाजा है कि हालात कितने कठिन हैं। खासतौर पर लोकसभा चुनाव में शरद पवार गुट के आठ सीटों के मुकाबले मात्र एक सीट जीतने के बाद उनके ऊपर दबाव भी है।

अजीत पवार गुट लोकसभा चुनाव में बारामती की सीट भी हार गया था। इस सीट को अजीत ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के सामने अपनी पत्नी सुनेत्रा को चुनावी मैदान में उतार दिया था। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद यह अफवाहें भी खूब उड़ रही हैं कि अजीत के गुट के नेता शरद पवार के संपर्क में हैं और वापसी की जुगत भिड़ा रहे हैं। अब अजीत पवार के ऊपर दबाव है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में अधिक से अधिक उम्मीदवार खड़े करें ताकि पार्टी को टूटने से बचाया जा सके।

लोकसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी ऑर्गनाइजर में एक लेख प्रकाशित हुआ था। इसमें भाजपा की अजीत पवार गुट के साथ चुनाव लड़ने को लेकर आलोचना हुई थी। इसके बाद से महायुति में टकराव की खबरें भी आने लगीं। हालांकि सहयोगी दलों ने इस तरह की किसी बात से इनकार किया है। हाल ही में एमएलसी चुनाव में मिली जीत ने भी सहयोगियों का साथ बनाए रखने में मदद की है। हालांकि भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने एक बयान देकर फिर से माहौल गर्म कर दिया है। शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उनसे पूछा गया था कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी? इस पर राणे ने कहा कि मैं तो चाहता हूं कि भाजपा सभी 288 सीटों पर कैंडिडेट उतारे।

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