नई दिल्ली: भारत में सैन्य सुरक्षा तंत्र को और भी अधिक मजबूत करने के लिए एक बड़ी पहल की गई है। भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अपनी तीन नई कार्ययोजनाओं को निजी हाथों में सौंपा है। सैन्य शक्ति को और भी ज्यादा मजबूत करने के लिए, पानी में रहकर मार करने वाले ड्रोन और लंबी दूरी तक मार करने वाली तकनीक को विकसित करने के लिए ये फैसला लिया गया है।
घरेलू रक्षा उत्पादन को मिलेगा बल
रक्षा मंत्रालय के तकनीक विकास फंड योजना के तहत इन कार्ययोजनाओं को अंजाम दिया जाएगा। सेना का मानना है कि घरेलू रक्षा उत्पादन को इससे और भी ज्यादा बल मिलेगा। एक अधिकारी ने बताया पानी के अंदर मार करने वाले ड्रोन को तैयार करने का उद्देश्य, अलग अलग समुद्री युद्धक्षेत्रों में ऐसे तंत्र का मजबूत करना है, जिन्हें जरूरत पड़ने पर कहीं भी तैनात किया जा सके।
खुफिया जानकारी, निगरानी और सर्वेक्षण को विकसित करने पर जोर
अधिकारी ने आगे बताया कि इस योजना का प्रमुख उद्देश्य खुफिया जानकारी, निगरानी और सर्वेक्षण (आईएसआर) तंत्र का बड़े पैमाने पर विकसित करना है। इसके अलावा समुद्री क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने के लिए भी इस कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया गया है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस कार्ययोजना का कार्यभार सागर इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिडेट को सौंपा गया है।
रक्षा मंत्रालय ने क्या कहा?
रक्षा मत्रालय का कहना है कि विमानों के लिए बर्फ का पता लगाने वाले सेंसर, रडार सिग्नल प्रोसेसर का उत्पादन, लंबी दूरी से संचालित होने वाले खोजी वाहन और पानी के भीतर हथियारों को निष्प्रभावी करने वाले लंबी दूरी से संचालित की जाने वाली तकनीक को भी तैयार किया जा रहा है। इस कार्ययोजना की जिम्मेदारी आईआरओवी टेक्नोलॉजीज, कोच्चि को सौंपी गई है।
इन योजनाओं पर भी होगा काम
इसके अलावा रडार सिग्नल प्रोसेसर, नेविगेशन सेटैलाइट सिस्टम को तैयार करने की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर स्थित ऑक्सीजन इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड को दी गई है। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इससे किसी भी अभियान की योजना को तैयार करने में मदद मिलेगी।