नई दिल्ली: महाराष्ट्र के कद्दावर नेता शरद पवार इन दिनों विधानसभा की चुनावी बिसात बिछाने में लगे हैं. महागठबंधन में सीट बंटवारे और कैंपेन के तौर तरीकों से इतर पवार मुख्य रूप से उन नेताओं को हराने पर फोकस कर रहे हैं, जिन्होंने साल 2023 में उनसे बगावत की थी. अपना आखिरी चुनाव लड़ रहे सीनियर 83 साल के पवार ने इन 11 नेताओं को चुनावी रण से बाहर करने के लिए 3 प्लान तैयार किए हैं.
सीनियर पवार के करीबियों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में जिस तरह से नतीजे आए, उसने पार्टी के भीतर जान फूंकने का काम किया है.
सीनियर पवार के रडार में हैं ये नेता
शरद पवार के रडार में महाराष्ट्र कैबिनेट के 9 मंत्री अजित पवार, हसन मुस्रिफ, छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, आदिति तटकरे, दिलीप वल्से पाटिल, डीबी आत्माराव, संजय बनसोडे और अनिल पाटिल के अलावा डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल और पूर्व मंत्री नवाब मलिक है.
ये 11 नेता एक वक्त में एनसीपी के धुरी थे, लेकिन 2023 में इन सभी ने मिलकर बगावत कर दी. पवार शुरू में साइलेंट रहे, लेकिन जब इन नेताओं ने पार्टी पर दावा ठोक दिया तो पवार मुखर हो गए. पवार अब इन 11 नेताओं को सबक सिखाने की कोशिश में लग गए है. इसके लिए 3 मास्टर प्लान तैयार है.
युवा चेहरे को तरजीह देने का प्लान
इन नेताओं को हराने के लिए शरद पवार ने जो पहला प्लान तैयार किया है, उसमें युवा चेहरे को तरजीह देना है. एनसीपी (शरद) गुट से जुड़े सूत्रों कहना है कि शरद पवार महाराष्ट्र चुनाव में युवाओं को जमकर टिकट देने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. पवार उन 11 सीटों पर मजबूत युवा चेहरा खोज रहे हैं, जो इन दिग्गजों को हरा सके.
कहा जा रहा है कि कुछ सीटों पर चेहरा फाइनल भी हो गया है, जबकि कुछ पर खोज जारी है. सीनियर पवार ने हाल ही में राज्य के 2 सीटों पर युवा उम्मीदवारों के नाम की घोषणा भी की थी. इनमें एक सीट तासगांव की है, जहां पर सीनियर पवार ने रोहित पाटिल को चुनाव लड़ाने की बात कही है. वहीं शरद पवार ने अकोले सीट से अमित भांगरे को टिकट देने की घोषणा की है.
तासगांव और अकोले दोनों ही सीट पर वर्तमान में अजित पवार के विधायकों का कब्जा है.
पवार खुद बना रहे रणनीति
एनसीपी के 11 दिग्गजों को शंट करने की रणनीति शरद पवार खुद बना रहे हैं. लोकसभा चुनाव में इन नेताओं के इलाके में पवार की रणनीति सफल भी रही थी. उदाहरण के लिए डिंडौरी लोकसभा सीट के अधीन छगन भुजबल की येवला और नरहरि जिरवाल की डिंडौरी सीट है. यहां पर शरद पवार ने 53 साल के भास्कर भागड़े को उतारकर एनडीए को झटका दे दिया.
इसी तरह शिरुर लोकसभा में दिलीप वल्से पाटिल की सीट अम्बेगांव है. यहां के 4 विधायक भी अजित गुट में शामिल थे, लेकिन शरद पवार के उम्मीदवार अमोल कोल्हे ने अजित गुट को झटका दे दिया. यही सिनेरियो धनंजय मुंडे के गढ़ बीड, हसन मुस्रिफ के कोल्हापुर में देखने को मिला.
सीनियर पवार की रणनीति इन इलाकों लड़ाई को युवा बनाम बुजुर्गों की बनाने की है. धनंजय और आदिति को छोड़ दिया जाए तो अजित गुट के अधिकांश दिग्गज 70 साल के आसपास के हैं.
अजित की भी होगी मजबूत घेराबंदी
साल 1991 से अजित पवार बारामती सीट से विधायक हैं. अजित से पहले इस सीट से शरद पवार विधायक थे. 2019 में अजित ने अपना चुनाव 1 लाख 65 हजार वोटों से जीता था, लेकिन अब परिदृश्य बदल चुका है. अजित का मुकाबला अपने चाचा शरद पवार से है. हाल ही में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने बारामती लोकसभा सीट पर अजित की पत्नि सुनेत्रा को पटखनी दी है. सुप्रिया की जीत का मार्जिन करीब 1 लाख 60 हजार वोटों का था.
कहा जा रहा है कि शरद पवार इस नतीजे के बाद अब अजित की भी मजबूत घेराबंदी में जुट गए हैं. अजित के खिलाफ किसी स्थानीय कार्यकर्ता को टिकट देने की चर्चा है.