उमा शंकर तिवारी व गौरव द्विवेदी की रिपोर्ट
भोपाल/सीधी। शिवराज सरकार के मंत्रीमंडल का विस्तार आने वाले कुछ दिनों में तय माना जा रहा है। मंत्रीमंडल में विंध्य से जगह पाने के लिए विधायकों की लंबी लाइन लगी हुई है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि विंध्य के बघेलखंड अंचल से किसे शिवराज मंत्रीमंडल के लिए चुना जाता है।
पिछले काफी समय से शिवराज मंत्रीमंडल के विस्तार की खबरें सुर्खियों में बनी हुई है। कोरोना के संक्रमण का प्रभाव शिवराज सरकार के मंत्रीमंडल में भी देखने को मिला। भारी दवाब के कारण अप्रैल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मिनी मंत्रीमंडल का गठन कर जल्द ही इसके विस्तार की बात कही थी। अब जब लाकडाउन के चार चरण लगभग पूरे होने वाले हैं शिवराज मंत्रीमंडल के विस्तार की तैयारियां भी जोरों से शुरू हो चुकी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी जल्द विस्तार की बात मीडिया में कह चुके हैं।
शिवराज सरकार के गठन के समय से ही मंत्री बनने के लिए दावेदारों ने अपनी बात संगठन के आलाधिकारियों तक पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं रखी। कुछ ऐसी ही कहानी विंध्य के बघेलखंड अंचल से भी है। यहां से एक या अधिकतम दो मंत्रियों को ही मंत्रीमंडल में शामिल किया जा सकता है। जिसके लिए सभी समीकरणों का ध्यान भी रखा जाना जरूरी है। विंध्य के बघेलखंड अंचल के विधायकों की मांग है कि इस बार नए चेहरे को मंत्रीमंडल में जगह दी जानी चाहिए। पूर्ववर्ती शिवराज सरकार में रीवा से विधायक राजेंद्र शुक्ला तीन बार मंत्री बन चुके हैं। ऐसे में अन्य विधायकों का कहना है कि उन्हें भी मौका मिलना चाहिए। संगठन भी विधायकों की इस बात पर सहमत नजर आता दिख रहा है। बीजेपी हाईकमान चाहता है कि राजेंद्र शुक्ला अब बड़ी जिम्मेदारी संभाले जिसके लिए उन्हें मंत्रीमंडल से अलग रहना होगा। राजेंद्र शुक्ला के मंत्री न बनने के बाद मंत्रीपद किसे दिया जाए इस पर सबसे ज्यादा विवाद चल रहा है। सीधी और रीवा संसदीय सीट से किसी एक चेहरे को ही मंत्री बनाया जा सकता है। चूंकि इन दोनों ही सीटों पर ब्राह्मण बहुलता है ऐसे में संभावना है कि यहां से किसी ब्राह्मण चेहरे को मंत्रीपद के लिए आगे किया जा सकता है। विंध्य से मीना सिंह पहले ही मंत्री बन चुकी है जो कि एसटी वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है तथा शहडोल जिले से बिसाहू लाल का भी मंत्री बनना तय है ऐसे में बघेलखंड अंचल से किसी अनुसूचित जाति को मंत्रीमंडल में शामिल किया जाएगा इसकी संभावना न के बराबर है।
केदार, गिरीश या शरतेंदु में से कौन?
बघेलखंड से ब्राह्मण वर्ग का प्रतिनिधित्व वर्तमान में राजेंद्र शुक्ला, केदारनाथ शुक्ला, गिरीश गौतम, केपी त्रिपाठी और शरतेंदु तिवारी कर रहे हैं। चूंकि संगठन राजेंद्र शुक्ला को बड़ी जिम्मेदारी सौंपना चाहता है अतः उनका मंत्री बनना मुश्किल हैं। अब मंत्री बनने के लिए चार नाम बचते हैं। सीधी से विधायक केदारनाथ शुक्ला, देवतालाब से गिरीश गौतम, सेमरिया से केपी त्रिपाठी तथा चुरहट से शरतेंदु तिवारी। विधायक केदारनाथ शुक्ला और गिरीश गौतम के बीच मंत्री बनने को लेकर खींचतान चल रही है। जबकि केपी त्रिपाठी इस सियासी रण से बाहर हैं। ऐसे में बाजी चुरहट के विधायक शरतेंदु तिवारी के हांथ लग सकती है।
तय मानक में फिट बैठ रहे हैं शरतेंदु तिवारी
संगठन ने शिवराज मंत्रीमंडल में युवा चेहरों को भी शामिल करने पर मंथन कर रहा है। संगठन का मानना है कि युवा जोश ज्यादा अच्छे तरीके से पार्टी के लिए काम करेगा। इसके अलावा कोरोना संक्रमण काल के दौरान जिन विधायकों ने क्षेत्रीय जनता के लिए बेहतर काम किया उनकी भी संगठन समीक्षा कर रहा है। ये दोनों ही मानक पर चुरहट से विधायक शरतेंदु तिवारी फिट बैठते हैं। कोरोना संकट के समय इंदौर व भोपाल में फंसे क्षेत्र के छात्रों के लिए चुरहट के विधायक शरतेंदु तिवारी द्वारा किए गए कामों की स्थानीय स्तर पर जमकर प्रशंसा भी हुई थी। इसके अलावा मुंबई में रामपुर नैकिन के निवासी की सड़क दुर्घटना में मृत्यु के बाद शरतेंदु तिवारी ने व्यक्तिगत स्तर पर जिस तरह से मदद उससे भी लोग खासे प्रभावित हुए थे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी शरतेंदु तिवारी से काम से प्रभावित
चुरहट से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अजय सिंह राहुल को हराकर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरने वाले विधायक शरतेंदु तिवारी के काम से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पहले से ही खासे प्रभावित हैं। इसके अलावा सीधी की स्थानीय सांसद रीति पाठक भी कई मौकों पर शरतेंदु तिवारी की तारीफ कर चुकी हैं। वहीं पूर्व मंत्री और रीवा से विधायक राजेंद्र शुक्ला भी शरतेंदु तिवारी जैसे युवाओं को आगे बढ़ाने के पक्ष में है। ऐसे में दिग्गजों की सिफारिश शरतेंदु तिवारी के लिए बोनस अंक साबित हो सकती है।
भौगोलिक दृष्टि से भी हैं मुफीद
चुरहट ऐसी विधानसभा सीट हैं जिससे सतना जिला, रीवा जिला, सीधी जिले के साथ ही शहडोल जिले के कुछ इलाके को आसानी से कवर किया जा सकता है। ऐसे में अगर इस सीट के विधायक को मंत्रीपद की जिम्मेदारी मिलती है तो रीवा, सीधी, सिंगरौली, सतना और शहडोल जिले से मंत्री बनाने के दवाब को कम किया जा सकता है। चूंकि मंत्रीमंडल में भाजपा के कोटे की सीटें कम है ऐसे में विधायक शरतेंदु तिवारी को मौका देकर संगठन एक तीर से कई निशाने साध सकती है। हालांकि शरतेंदु तिवारी अभी पहली बार विधायक बने हैं ऐसे में उनका अनुभव ही उनके प्रमोशन में आड़े आ सकता हैं।