मुंबई : महाराष्ट्र में एक बार फिर से उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे के बीच आर-पार की लड़ाई के समीकरण बनते नजर आ रहे हैं। बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने गुरुवार दोपहर को बांद्रा के निर्मल नगर में उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना के एक “अवैध” शाखा (कार्यालय) को ध्वस्त कर दिया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई हिंसा न हो, इलाके में मुंबई पुलिस तैनात की गई थी।
उद्धव सरकार के काम जांचेगी SIT
इससे तीन दिन पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बीएमसी द्वारा पहले किए गए विभिन्न कार्यों में “अनियमितताओं” की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मंजूरी दी थी। यह एसआईटी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के सत्ता में (नवंबर 2019 से जून 2022 तक) रहने के दौरान हुए कामों की जांच करेगी।
सोमवार देर रात सीएम कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि मुंबई पुलिस आयुक्त की अध्यक्षता वाली एसआईटी, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा चिह्नित मुंबई नागरिक निकाय के विभिन्न कार्यों में 12,024 करोड़ रुपये की अनियमितताओं की जांच करेगी। बता दें कि भारत की सबसे अमीर महानगरपालिका वर्तमान में एक प्रशासक के अधीन है और इसके नगरसेवकों का कार्यकाल पिछले साल की शुरुआत में ही समाप्त हो गया था।
भाजपा विधायक ने लिखा था पत्र
विज्ञप्ति में कहा गया है कि शिंदे ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के शीर्ष अधिकारियों और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी जांच में शामिल करने के निर्देश दिए हैं। नगर निगम ने नवंबर 2019-जून 2022 के दौरान कई कार्य किए। इस अवधि में कोविड-19 महामारी भी शामिल थी। मुंबई से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक अमित साटम ने सीएजी द्वारा अपनी ऑडिट रिपोर्ट पेश करने के बाद कोविड-19 से संबंधित विभिन्न कार्यों में अनियमितताओं का दावा करते हुए शिंदे को एक पत्र लिखा था। साटम ने अपने पत्र में सीएजी रिपोर्ट द्वारा चिह्नित “अनियमितताओं” की एसआईटी जांच की मांग की थी।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कहा था कि उनकी पार्टी शिवसेना (यूटीबी) मुंबई नगर निगम में अनियमितताओं के खिलाफ एक जुलाई को विरोध प्रदर्शन करेगी। ठाकरे ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुंबई में सार्वजनिक धन की ”लूट“ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जी20 जैसे कार्यक्रमों और सड़कों को पक्का करने के नाम पर पैसा “बहाया” जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उनसे सवाल करने वाला कोई नहीं है।
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहने वाले ठाकरे ने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं होने की वजह से उनसे (भाजपा-शिवसेना सरकार) सवाल करने वाला कोई नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दलों में चुनाव लड़ने का साहस नहीं है। शिंदे ने पलटवार करते हुए कहा, “डकैतों को लूट के बारे में बात करना शोभा नहीं देता।” उन्होंने दावा किया कि शिवसेना (यूटीबी) एसआईटी से डरी हुई है और लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है।