मुंबई।राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) से बगावत करने के बाद अजित पवार के महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के बाद से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। सत्ता के समीकरण भी पूरी तरह से बदल गए हैं। अजित पवार गुट के शपथ ग्रहण के बाद शिंदे गुट की पवार गुट और बीजेपी के साथ खींचतान शुरू हो गई है। फिलहाल कैबिनेट विस्तार रुका हुआ है। इन सबके बीच पालक यानी कि अभिभावक मंत्री का कार्यकाल भी बढ़ता जा रहा है।
अजित पवार गुट पुणे, नासिक, कोल्हापुर, रायगढ़ जिले के संरक्षक मंत्री पद पर दावा कर रहा है। इससे सबसे ज्यादा दुविधा शिंदे गुट को होने की संभावना है। पिछले कुछ दिनों से रायगढ़ जिले का संरक्षक मंत्री कौन होगा? इस पर अच्छी चर्चा हुई है। शिंदे गुट के भरत गोगवले के दावे और अदिति तटकरे के खिलाफ उनके बयान को लेकर यहां काफी विवाद हुआ। इन सबके बीच राज्य सरकार ने इस बात की जानकारी दी है कि 15 अगस्त को कौन सा मंत्री किस जिले में झंडा फहराएगा। 28 जिलों में 28 मंत्री ध्वजारोहण करेंगे और सात जिलों में कलेक्टरों को जिम्मेदारी दी गई है।
अजित पवार गुट के मंत्री किन जिलों में फहराएंगे झंडा?
उपमुख्यमंत्री अजित पवार (कोल्हापुर), छगन भुजबल (अमरावती), दिलीप वलसे पाटिल (वाशिम), हसन मुश्रीफ (सोलापुर), धनंजय मुंडे (बीड), धर्मराव अत्राम (गढ़चिरौली), संजय बनसोडे (लातूर), अनिल पाटिल (बुलढाणा) ) और अदिति तटकरे को पालघर में झंडा फहराने का मौका दिया गया है। नये मंत्रियों को अस्थायी ध्वजारोहण की जिम्मेदारी दी गई है। दूसरी तरफ, मंत्रिमंडल का गठन नहीं होने और अजित पवार गुट के सत्ता में आने के बाद से शिंदे गुट के बीच कलह बढ़ती ही जा रही है। उनकी नाराजगी साफ नजर आ रही है। विभाग आवंटन और पालक मंत्री के फैसले के बाद क्या शिंदे गुट के विभागों में कटौती होगी? इसकी चर्चा शुरू हो गई है।
विदर्भ का बॉस कौन?
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नागपुर में ध्वजारोहण करेंगे। वर्धा, गोंदिया, भंडारा, अकोला जिलों में कलेक्टरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसलिए संभावना है कि भविष्य में ये जिले बीजेपी के पास ही रहेंगे। मराठवाड़ा के हिंगोली और नांदेड़ में भी जिला कलेक्टरों को झंडा फहराने की जिम्मेदारी दी गई है। कलेक्टर रायगढ़ में भी झंडा फहराएंगे । इसलिए इस बात की संभावना है कि इस जिले को लेकर अजित पवार और शिंदे गुट आमने-सामने आ जाएं। अजित पवार गुट को उनके मनपसंद जिले मिल गए हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि शिंदे गुट को संरक्षक मंत्री पद पर भी खतरे में डाला जाएगा या भाजपा दोनों के बीच सुलह कराती रहेगी? इसका जवाब कैबिनेट विस्तार में ही मिलेगा।