आनंद अकेला की रिपोर्ट
भोपाल। कुछ संवैधानिक पदों पर आने वाले कुछ समय तक शिवराज सरकार कोई नहीं नियुक्ति नहीं कर सकेगी। मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के कई फैसले बदले परंतु विभिन्न आयोगों में की गई संवैधानिक नियुक्तियों के मामले में पेंच उलझ गया है। शिवराज सिंह ने सभी नियुक्तियां निरस्त कर दी थी परंतु हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार के फैसलों पर स्टे लगा दिया है।
बुधवार को महिला आयोग की सदस्यों के निष्कासन पर भी मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने यथास्तिथि के आदेश जारी कर दिए। राज्य महिला आयोग की सदस्य रही जमुना मरावी और संगीता शर्मा ने पद से अपने निष्कासन को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। दोनों ही सदस्यों ने उनके निष्कासन को गलत ठहराते हुए उसे रदद् करने की मांग की है।
बुधवार को हाईकोर्ट में इस मामले में सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने तात्कालिक राहत न देते हुए पद पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश को पारित किया है। इस आदेश के बाद मध्य प्रदेश सरकार अब इन पदों पर तब तक कोई नई नियुक्ति नहीं कर सकती, जब तक न्यायालय इन याचिकाओं अपना फैसला नहीं सुना देती। गौरतलब है कि मंगलवार अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार की याचिका पर भी हाईकोर्ट ने कुछ इसी तरह का आदेश पारित किया था।
कानूनी दांवपेंचों में फंसी चार प्रमुख आयोगों में नियुक्तियां
स्पष्ट है कि कमलनाथ सरकार ने जाते-जाते चार प्रमुख आयोगों के अलग-अलग पदों पर आनन-फानन में नियुक्तियां कर दी थीं, जिन्हें शिवराज सरकार ने सत्ता में आते ही निरस्त कर दिया। संवैधानिक पदों पर हुई नियुक्तियों के निष्कासन के लिए कानूनी तौर पर बिना नियमों का पालन किए पद से अध्यक्ष समेत सदस्यों को अलग कर दिया गया। इन दलीलों के साथ करीब आधा दर्जन याचिकाएं न्यायालय की दहलीज़ पर अब तक पहुंच गई हैं। आपको बता दें कि अब तक प्रदेश के प्रमुख आयोग जिनमें राज्य महिला अयोग, युवा आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग में हुई नियुक्तियां और फिर निरस्तगी कानूनी दांवपेंच में फंसी है। कमलनाथ सरकार ने संवैधानिक पदों पर काबिज़ अध्यक्ष और सदस्यों को जहां राहत की उम्मीद है, वहीं प्रदेश सरकार कानूनन कार्यवाही पूरी होने तक किसी भी आयोग के पदों पर नई नियुक्ति फिलहाल नहीं कर सकती है।