नई दिल्ली। कर्नाटक के मुख्यमंत्री एम. सिद्धारमैया पर जमीन घोटाले के मामले में केस चलेगा। गवर्नर ने इसके लिए मंजूरी दी थी, जिसके खिलाफ सिद्धारमैया ने हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। उच्च न्यायालय ने सिद्धारमैया की अर्जी को खारिज कर दिया है और गवर्नर की ओर से दी गई मंजूरी को सही करार दिया है। मैसुरु अर्बन डिवेलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) के प्लॉटों के आवंटन में घोटाले का आरोप है, जिसमें सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाने की परमिशन राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने दी थी। इसके खिलाफ सिद्धारमैया हाई कोर्ट गए थे।
उनकी अर्जी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने कहा कि राज्यपाल थावरचंद गहलोत की ओर से केस चलाने की मंजूरी नियमों के तहत दी गई। इस मामले में ऐक्टिविस्ट टीजे अब्राहम, एस. कृष्णा और प्रदीप कुमार एसपी ने शिकायत दर्ज कराई थी। जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा कि आमतौर पर राज्यपाल मंत्री परिषद की सिफारिश पर ही कोई निर्णय लेते हैं, लेकिन संविधान उन्हें विशेष परिस्थितियों में स्वतंत्र निर्णय लेने की भी परमिशन देता है। अदालत ने कहा कि इस मामले में शिकायत पर फैसला लेना जरूरी था। आमतौर पर राज्यपाल मंत्री परिषद की सलाह पर निर्णय लेते हैं, लेकिन कई बार विशेष परिस्थितियों में स्वतंत्र तौर पर भी फैसला लिया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि यह मामला ऐसे ही अपवाद और विशेष स्थिति का है। बेंच ने कहा कि गवर्नर के फैसले में कोई भी गलती नहीं लगती है। हाई कोर्ट ने कहा कि हमारे आदेश के साथ ही निचली अदालत की ओर से आने वाला कोई अंतरिम आदेश भी निष्प्रभावी हो जाएगा। दरअसल इस मामले की सुनवाई सिद्धारमैया की अर्जी पर निचली अदालत में भी चल रही थी। अब उच्च न्यायालय के फैसले के बाद वह केस खत्म हो गया है। दरअसल राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 16 अगस्त को प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट के सेक्शन 17ए के तहत सिद्धारमैया के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दी थी।