शोर…शिनाख़्त.. मुख़ौटा…खेल
●●● “शोर बहुत था वहाँ पकड़ा गया है मुज़रिम कोई … शिनाख्ती के साथ … क्या… ? सचमुच मुज़रिम नहीं था वो मुख़ौटा था … मात्र मुख़ौटा शायद किसी और का …
हाँ, सच है बदल दिया जाएगा जिसे वक़्त के इस्तेमाल के साथ मुज़रिम को मुल्ज़िम और मुल्ज़िम को मुज़रिम बनाने के इस खेल में
बहुत आसां होता है किसी किसी के लिए फ़िर, बचना , इन्तिहाई मुश्किल हर किसी के लिए…
जल्दी, तेज़ी तेज़ी जल्दी मत कर यारां समझते बूझते ,समझ… समझ- समझ के परे जीवन शतरंज़ से शय और मात के इस गेम को !