लघुकथा
—-दिल का अमीर —-
चारबाग चौराहे पर वो लड़की हमारी टैक्सी में बैठी थी l उसके टैक्सी में बैठते ही टैक्सी एक अजीब सी सुगंध से सराबोर हो गयीं ….वो कुछ नर्वस लग रही थी. हर एक मिनट बाद वो अपने कलाई पर बंधी घड़ी की तरफ निहारती….और बीच बीच में अपने मोबाइल में किसी का मेसेज चेक करती…कुछ ही देर बाद कैसरबाग़ चौराहा आ गया था . जहाँ एक सवारी उतर गयीं और एक नई सवारी ने उसकी जगह भर दी l टैक्सी में जोर जोर से कोई आधुनिक गाना बज रहा था हनी सिंह टाइप ….जिसके बोल समझ न आ रहे थे …पर ड्राइवर उस गाने से बहुत मोहित लग रहा था …और गानों की धुन पर मस्त होकर गाडी चला रहा था …उस टैक्सी में कुल आठ सवारी थी ….कुछ लोग उसको टेम्पो कहकर भी रोक रहे थे …एक पंद्रह सोलह साल का लड़का ड्राइवर का सहयोगी लग रहा था जो टैक्सी में एक भी सीट खाली होने पर उसको भरने के लिए प्रतिबद्ध लग रहा था और जोर जोर से आवाज़ लगाकर सवारी बुला लेता था ..
अगले चौराहे पर एक सवारी उतरी जो मुझसे भी पहले बैठी थी …पर ये क्या उस सवारी का ड्राइवर से कुछ पैसों को लेकर झिकझिक होने लगी …वो अपनी ही दर पर किराया देने चाह रही थी और टैक्सीवाला अपना हिसाब बता रहा था …एक से डेढ़ मिनट बाद वो सवारी कम पैसे ही देकर आगे बढ़ गयी और ड्राइवर कुछ देर तक कुछ बड़बड़ाता रहा l कुछ पांच से आठ मिनट बाद ही मेडिकल कॉलेज चौराहा आ गया जो शायद ज्यादातर सवारियों का अंतिम गंतव्य स्थल था सभी साथ उतर गए …वो सुगंध वाली लड़की ने अपने बड़े पर्स में कुछ ढूंढने का प्रयोजन किया पर अगले ही पल वो मेरी तरफ देखकर रुआँसी होकर बोली , ” आंटी जी प्लीज् क्या मेरा किराया दे देंगी ….लगता है जल्दी में मैं पैसों वाला पर्स घर ही भूल आयी …आप चाहें तो अपना नंबर मुझे दे दें आपको आपके पैसे लौटा दूंगी , “मैं असमंजस की स्थिति में थी और स्टैचू बने कुछ सोचने लगी …समझ ही न आ रहा था उसे क्या जवाब दूँ …तब तक ड्राइवर ने एक सौ का नोट बढ़ाते हुए कहा , ” लो दीदी आप ये भी रख लो शायद कोई जरूरत पड़ जाए और मेरा नंबर लिख लो वापिस कर देना बाद में ,”ड्राइवर ने कोई नम्बर लिखवाया और वो लड़की उसके पैसे लेकर चली गयी ..लड़की के आँखों से ओझल होते ही ड्राइवर के सहायक ने कहा , ” ये बताओ भैया आपने उसको अपना गलत नंबर क्यों नोट करवाया , “ड्राइवर बोला , ” इसलिए की अगर नंबर न देता तो शायद वो मुझसे पैसे न लेती ….मैं पंद्रह सालों से टैक्सी चला रहा हूँ ..और कौन कैसा है इसका अनुभव मुझे खूब है …ये लड़की सच बोल रही थी ,”
मैं अभी भी शांत थी और मन ही मन इस दिल के अमीर व्यक्ति को नमन कर रही थी जिसे अभी महज पांच सात मिनट पहले ही महज दो रूपये के लिए ही झिकझिक करते देख गालियाँ दे रही थी l
सीमा”मधुरिमा”
लखनऊ