<h3 style="text-align: center">-मौन-</h3> <h3 style="text-align: center">मौन मुखर प्रश्न मेरे उत्तर विमुख हुए जाते हैं स्याह सी रात के साए आ उन्हें सुलाते हैं</h3> <h3 style="text-align: center">नदिया चुप सी बहती है चांदनी मौन में निखरती है अंतर्मन के उथल पुथल में मौन रच बस मचलती है</h3> <h3 style="text-align: center">मन का कोलाहल प्रखर हो जाता है मौन का बसेरा मन जब पाता है गहरा समुद्र भी कभी कभी मौन हो जाता है.. एकांकी हो कर भी चाँद सभी का कहलाता है.</h3> <h3 style="text-align: center">~श्वेता मिश्रा~ -नाइजीरिया-</h3>