हिंदू धर्म में होली से आठ दिन पहले सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. इस समयावधि को होलाष्टक कहा जाता है. फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक होलाष्टक रहते हैं. इस बार होलिका दहन 29 मार्च को होगा, इसलिए होलाष्टक 22 मार्च से 28 मार्च तक रहने वाले हैं. होलाष्टक में शुभ कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन जन्म और मृत्यु से जुड़े काज किए जा सकते हैं.
होलाष्टक के दौरान ना करें ये काम
होलाष्टक में 8 दिन तक मांगलिक कार्यों की मनाही होती है. इस दौरान शादी-विवाह, भूमि पूजन, गृह प्रवेश, मांगलिक कार्य, नया व्यवसाय या नया काम शुरू करने से बचना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक शुरू होने के साथ ही 16 संस्कार जैसे नामकरण संस्कार, जनेऊ संस्कार, गृह प्रवेश, विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्यों पर भी रोक लग जाती है. किसी भी प्रकार का हवन, यज्ञ कर्म भी इन दिनों में नहीं किया जाता है. इसके अलावा नव विवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहने की सलाह दी जाती है.
होलाष्टक का महत्व
होलाष्टक की अवधि भक्ति की शक्ति का प्रभाव बताती है. इस अवधि में तप करना ही अच्छा रहता है. होलाष्टक शुरू होने पर एक पेड़ की शाखा काट कर उसे जमीन पर लगाते हैं. इसमें रंग-बिरंगे कपड़ों के टुकड़े बांध देते हैं. इसे भक्त प्रह्लाद का प्रतीक माना जाता है. जिस क्षेत्र में होलिका दहन के लिए एक पेड़ की शाखा काट कर उसे जमीन पर लगाते हैं, उस क्षेत्र में होलिका दहन तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
ऐसे करें होलाष्टक के दिन की शुरुआत
होलाष्टक के दिनों में ही संवत और होलिका की प्रतीक लकड़ी या डंडे को गाड़ा जाता है. इस समय में अलग-अलग दिन अलग-अलग चीजों से होली खेली जाती है. पूरे समय में भगवान शिव या कृष्ण जी की उपासना की जाती है. होलाष्टक में प्रेम और आनंद के लिए किए गए सारे प्रयास सफल होते हैं l