चंपारण : बिहार में नीतीश कुमार को कुर्सी से अलग करने के लिए और बिहार की सरकार को कमजोर बनाने के लिए देश के छह मुख्यमंत्री पैसे दे रहे हैं। ये बात हम नहीं खुद प्रशांत किशोर ने कहा है । उन्होंने कहा कि उनकी पदयात्रा के लिए देश के छह मुख्यमंत्री फंडिंंग कर रहे हैं। पार्टी खड़ी करने और पद यात्रा करने के लिए पैसे दे रहे है। जब उनसे पूछा गया कि पद यात्रा करने के लिए उनके पास पैसा कहांं से आ रहा है? तो उन्होंने यह बात बातोंं बातों में कह दी कि उन्हें देश के छह मुख्यमंत्री की ओर पैसे दिए जा रहें। इसका सीधा मतलब ये लगाया जा सकता है कि बिहार की सरकार को अस्थितर करने के लिए देश छह मुख्यमंत्री पीके को नीतीश कुमार के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश में हैं। लिहाजा उन्हें पार्टी खड़ी करने के लिए पैसे दिए जा रहे हैं। मगर प्रशांत किशोर ने ये नहीं बताया कि आखिर बिहार में 17 सालों से अधिक की नीतीश सरकार को अस्थिर करने के लिए कौन-कौन मुख्यमंत्री पैसे उपलब्ध करा रहे हैं।
इसके अलावा प्रशांत किशोर ने आगे भी पार्टी के लिए पैसे का इंतेजाम करने का भी तरीका बताया है। प्रशांत किशोर अपनी यात्रा के 26वें दिन पश्चिमी चंपारण के पतिलार में थे। उन्होंने कहा ‘पैसा सरस्वती से आ रहा है। पिछले 10 सालों में जिन नेताओं और दलों के लिए काम किया है, उनसे एक रुपया भी नहीं लिया था। उनमें से 6 अभी मुख्यमंत्री हैं। वे लोग ही जन सुराज अभियान के लिए शुरुआती मदद कर रहे हैं। आगे कुछ दिनों में क्राउड फंडिंग का एक बड़ा प्लेटफॉर्म तैयार कर रहे हैं। बिहार के लोग अपनी ओर से छोटा योगदान देकर भी इस पूरे प्रक्रिया में अपना योगदान दे पाएंगे। बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ है। अगर दो करोड़ लोग भी ₹100 देंगे तो 200 करोड़ रुपए हो जाएगा और जनता के पैसों से ही जन सुराज का अभियान आगे चलेगा।’
पलायन सबसे बड़ी समस्या, शिक्षा, स्वास्थ व्यवस्था और ग्रामीण सड़कों की हालत खराब
जन सुराज पदयात्रा के दौरान सामने आई समस्याओं का ज़िक्र करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि जब पदयात्रा गांवों से गुजर रही है। इस दौरान उन्हें ज्यादातर महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग गांवों में मिल रहे हैं। प्रशांत किशोर ने कहा यह साफ़ बताता है कि बिहार में पलायन विकराल रूप से हुआ है। गांवों के 70 फीसद युवा रोज़ी-रोटी के लिए बाहर है। शिक्षा व्यवस्था का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था बिल्कुल ध्वस्त हो चुकी है। स्कूल की बिल्डिंग, शिक्षक और छात्र तीनों का समायोजन कहीं देखने को नहीं मिलता है। जहां बिल्डिंग है, वहां शिक्षक और छात्र नहीं हैं, जहां छात्र हैं वहां शिक्षक और बिल्डिंग नहीं है।
लालू राज जैसी सड़कें अब भी : प्रशांत किशोर
ग्रामीण सड़कों का हाल भी लालू राज जैसा ही है। जैसे ही आप स्टेट और नेशनल हाईवे छोड़ कर ग्रामीण सड़कों पर आएंगे। आपको पता लगेगा की ग्रामीण सड़कों की स्थिति कितनी बेहाल है। प्रशांत किशोर ने यह बात भी कही। उन्होंने कहा की जल्द ही वो बिहार की सड़कों की हालत पर एक वीडियो भी जारी करेंगे। जिसमें 200 किलो मीटर पदयात्रा के दौरान मिली ख़राब सड़कों का हाल रखा जाएगा।
खुले में शौच की स्थिति कागजों से अलग
प्रशांत किशोर ने बिहार में बिजली बिल की समस्या का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा की बिजली तो पहुंच गई है मगर लोग बिल से परेशान हैं। क्योंकि यहां बिजली की दर बहुत ज्यादा है। वहीं, खुले में शौच की समस्या को गंभीर बताते हुए उन्होंने कहा कि ODF केवल कागजों पर हैं, जमीन पर स्थिति इसके ठीक उलट है।