नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के दौरान बटेंगे तो कटेंगे का नारा दिया था, जोकि लगातार चर्चा में बना हुआ है। इस बयान पर ना सिर्फ विपक्ष बल्कि महाराष्ट्र में महायुति और विपक्ष के नेता भी बंटे हुए नजर आ रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने योगी आदित्यनाथ के बयान का समर्थन किया है जबकि नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के मुखिया और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और भाजपा नेता अशोक चव्हाण, पंकजा मुंडे इस नारे के समर्थन में नहीं हैं और उन्होंने इसे सही नहीं बताया है।
अजित पवार ने कहा कि इस नारे की प्रदेश में जगह नहीं है, महाराष्ट्र बीआर अंबेडकर के सिद्धांतों पर चलता है। जिस तरह से बंटेंगे तो कटेंगे नारे को भाजपा और सहयोगी दलों के नेता ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं,उसे देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने एक हैं तो सेफ हैं का नारा दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वो नहीं चाहते हैं कि एससी, एसटी, ओबीसी आगे बढ़ें और अपनी पहचान को हासिल करें, लिहाजा याद रखिए, एक हैं तो सेफ हैं।
जिस तरह से एनडीए को महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में झटका लगा, उसके बाद महाराष्ट्र में भाजपा और सहयोगी दलों ने मांझी लड़की बहिन योजना की शुरुआत की। इस योजना के अंतर्गत 21 से 60 वर्ष की महिलाएं जिनकी आय 2.5 लाख से कम है, उन्हें हर माह 1500 रुपए दिए जा रहे हैं।
वहीं झारखंड में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार ने झारखंड मुख्यमंत्री मैया सम्मान योजना की शुरुआत की, जिसके तहत महिलाओं को हर महीने 1000 रुपए की मदद दी जा रही है। लेकिन अर्थशास्त्रियों ने इन योजनाओं पर सवाल खड़े किए हैं, उनका मानना है कि इससे प्रदेश का आर्थिक स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।
माटी, बेटी रोटी बनाम घुसपैठिए
झारखंड में अपनी बैठ को बनाने और मुख्यमंत्री की कुर्सी को हासिल करने के लिए भाजपा लगातार झारखंड मुक्ति मोर्चा सरकार को निशाना बना रही है। उसने आरोप लगाया है कि बांग्लादेश से आए घुसपैठिए स्थानीय लोगों की माटी, बेटी, रोटी छीन रहे हैं।
मराठा बनाम ओबीसी
मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल ने मतदान से पहले सभी सीटों से अपने उम्मीदवारों का नामांकन वापस ले लिया है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसके बावजूद मराठा समुदाय पर उनका प्रभाव काफी अधिक है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर मराठा वोट किधर जाता है। प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में मराठा समुदाय ने आरक्षण के लिए कई प्रदर्शन किए हैं।