भारत में मुगल बादशाह औरंगजेब को एक तानाशाह और क्रूर शासक कहा गया. सत्ता हासिल करने के नशे में चूर ऐसा शासक जिसने अपने पिता को कैद करवा दिया और भाई का सिर कलम करवा दिया. उसके हाथ न जाने कितनों के खून से रंगे. ताउम्र लोगों पर क्रूरता बरसाने वाले औरंगजेब को जीवन के अंतिम दौर में अपनी गलतियों का अहसास हुआ. उसे इस कदर पश्चाताप हुआ कि अपनी वसीयत में कब्र पर छांव न करने की बात लिख डाली.
औरंगजेब का जन्म 3 नवंबर, 1618 को दादा जहांगीर के शासनकाल में हुआ. वह शाहजहां का तीसरा बेटा था. औरंगजेब को बचपन से ही साहित्य पढ़ने का शौक रहा है, खासतौर पर इस्लामिक धार्मिक साहित्य. समय के साथ उसमें साहित्य के लिए लगाव बढ़ता गया. उसने तुर्की साहित्य पढ़ना शुरू किया. इतना ही नहीं, हस्पलिपि विद्या में भी हाथ आजमाया और अपनी मेहनत के दम पर उसमें महारत हासिल कर दी.
बचपन से साहित्य से विशेष लगाव होने के कारण उसे धाराप्रवाह हिन्दी आती थी, लेकिन उसमें एक ऐसी भी खामी रही जिसने उसे दूसरों मुगलों से अलग बनाया. वो भी संगीत से चिढ़. कई इतिहासकारों ने कुछ किस्सों का जिक्र करते हुए अपनी किताब में यह बात साफतौर पर लिखी है कि औरंगजेब को किस हद तक संगीत नापसंद था. संगीतकारों और कलाकारों को लेकर औरंगजेब की सोच काफी अलग थी.जानिए साहित्य के शौकीन औरंगजेब ने संगीत पर पाबंदी क्यों लगाई…
संगीतकारों के भूखे मरने के दिन आए
पूरी मुगल सल्तनत में एक ऐसा दौर भी देखा गया जब संगीतकारों के भूखे मरने के लिए आ गए. वाद्ययंत्रों पर धूल की पर्त चढ़ते लगी. औरंगजेब ने अपने दौर में संगीत पर ऐसी पाबंदी लगाई जो मुगलों के इतिहास में कभी नहीं हुआ. इतालवी पर्यटक मनूची ने इस बात का जिक्र अपने संस्मरण में किया है, वो लिखते हैं-एक ऐसा दौर भी आया जब संगीतकार उनके इस प्रतिबंध से तंग आ गए और विरोध प्रदर्शन निकालने की योजना बनाई.
विरोध के लिए एक दिन तय हुआ. तैयारी शुरू हुई. दिल्ली की जामा मस्जिद के पास एक हजार संगीतकार जमा हुए. प्रदर्शनकारियों ने ऐसे रोना शुरू किया मानों जनाजा निकाला जा रहा है. यह वो वक्त था जब औरंगजेब मस्जिद से नमाज पढ़कर निकलता था. मस्जिद से निकलते वक्त उसे लोगों के रोने की आवाज सुनाई दी तो पूछा ऐसा क्यों कर रहे हो.
प्रदर्शनकारियों ने जवाब दिया कि आपने हमारे संगीत का कत्ल कर दिया है उसे ही दफनाने जा रहे हैं. यह बात सुनने के बाद औरंगजेब ने कहा, तो फिर कब्र जरा गहरी खोदना. कई इतिहासकारों का कहना है कि औरंगजेब बेहद कट्टर शासक था. उसने अपने शासनकाल में कट्टर इस्लाम को लागू किया. औरंगजेब का मानना था कि कलाकार इस्लाम में बताए गए नियमों को नहीं मानते. वो उसका पालन नहीं करते. यही वजह रही है कि संगीत को लेकर उसका नजरिया हमेशा से नकारात्मक रहा और अपने शासनकाल में उसने इस पर पाबंदी लगा डाली.