Sunday, May 11, 2025
नेशनल फ्रंटियर, आवाज राष्ट्रहित की
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
No Result
View All Result
नेशनल फ्रंटियर
Home अंतरराष्ट्रीय

दावा : धरती पर ‘प्रलय’ लाएगा सौर तूफान, तबाह हो जाएगी इंटरनेट प्रणाली

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
31/08/21
in अंतरराष्ट्रीय, टेक वर्ल्ड
दावा : धरती पर ‘प्रलय’ लाएगा सौर तूफान, तबाह हो जाएगी इंटरनेट प्रणाली

google image

Share on FacebookShare on WhatsappShare on Twitter

नई दिल्ली l सौर तूफान यानी सूरज से निकलने वाला कोरोनल मास. यह बेहद खतरनाक और नुकसानदेह होता है. वैज्ञानिकों ने हाल ही में चेतावनी दी है कि भविष्य में एक ऐसा भयावह सौर तूफान आएगा, जिससे धरती पर इंटरनेट प्रलय आ सकता है. यानी पूरी दुनिया का इंटरनेट बंद हो सकता है या फिर कई दिनों तक बाधित हो सकता है. यह स्टडी की है यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की शोधकर्ता संगीता अब्दू ज्योति ने. उन्होंने पिछले हफ्ते हुए सिगकॉम 2021 डेटा कम्यूनिकेशन कॉन्फ्रेंस में अपनी स्टडी वैज्ञानिकों को दिखाई थी.

संगीता की रिसर्च के मुताबिक स्थानीय स्तर के इंटरनेट प्रणाली पर कम असर होगा क्योंकि वो ज्यादातर फाइबर ऑप्टिक्स पर चलते हैं. फाइबर ऑप्टिक्स पर जियोमैग्नेटिक करेंट का सीधा असर नहीं होता. लेकिन दुनिया भर के समुद्रों में फैली इंटरनेट केबल पर इसका असर पड़ सकता है. ये केबल दुनिया के अलग-अलग देशों को आपस में जोड़ते हैं. कई देश इन केबल को अपने फाइबर ऑप्टिक्स से जोड़ते हैं, यानी सौर तूफान आने पर समुद्री इंटरनेट केबल के जरिए फाइबर ऑप्टिक्स पर भी असर पड़ेगा.

संगीता कहती हैं कि इसकी सबसे बड़ी वजह है सौर तूफान को लेकर हमारी जानकारी की कमी और पर्याप्त डेटा का न होना. सौर तूफान जब आते हैं तब वो इलेक्ट्रिकल ग्रिड्स को नुकसान पहुंचा देते हैं. जिसकी वजह से बड़े इलाकों में अंधेरा हो जाता है. लेकिन इनका असर इंटरनेट प्रणाली पर भी पड़ता है. अगर इस प्रणाली को सौर तूफान की वजह से चोट पहुंचती है तो दुनिया भर में इंटरनेट बंद हो सकता है या फिर कई दिनों तक बाधित भी हो सकता है.

संगीता ने बताया कि समुद्री इंटरनेट केबल में करेंट के बहाव को बनाए रखने के लिए रिपीटर्स (Repeaters) लगे होते हैं, जो सौर तूफान के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं. यानी सौर तूफान आने पर इन रिपीटर्स की हालत खराब हो सकती है. ये फेल भी हो सकते हैं. यानी केबल में बहाव खत्म होते ही इंटरनेट की सप्लाई दुनियाभर में रुक जाएगी. इंटरनेट नेटवर्क ऑफलाइन हो जाएगा.

अगर इंटरनेट बंद होता है तो कई ऐसे देश हैं जिनकी पूरी की पूरी अर्थव्यवस्था, संचार प्रणाली, डिफेंस आदि सेक्टर थम सकते हैं. संगीता ने कहा कि हम इसके बारे में इसलिए ज्यादा गंभीर हैं क्योंकि हम कोरोना महामारी के लिए तैयार नहीं थे. उसने पूरी दुनिया को खस्ताहाल कर दिया. ठीक इसी तरह हम सौर तूफान और उससे पड़ने वाले असर को लेकर तैयार नहीं हैं. साथ ही हमें उसके असर की कोई जानकारी भी नहीं है.

संगीता ज्योति कहती हैं कि अगर बड़े भयावह स्तर का सौर तूफान आता है तो उसके लिए एकदम तैयार नहीं है. जिस दिन पूरी दुनिया का इंटरनेट या कुछ देशों का इंटरनेट भी बंद हुआ तो उससे पूरी दुनिया पर असर पड़ेगा. हम वो झटका बर्दाश्त ही नहीं कर पाएंगे. कई देशों की इकोनॉमी मुंह के बल नीचे गिर पड़ेगी. इससे होने वाले नुकसान का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है.

संगीता बताती हैं कि सबसे बड़ा डर ये है कि हमारे पास सौर तूफान और उससे पड़ने वाले असर को लेकर डेटा बहुत कम है. इसलिए हम ये अंदाजा नहीं लगा सकते कि नुकसान कितना बड़ा होगा. दुनिया में सबसे भयावह सौर तूफान 1859, 1921 और 1989 में आए थे. इनकी वजह से कई देशों में बिजली सप्लाई बाधित हुई थी. ग्रिड्स फेल हो गए थे. कई राज्य घंटों तक अंधेरे में थे.

1859 में इलेक्ट्रिकल ग्रिड्स नहीं थे, इसलिए उनपर असर नहीं हुआ लेकिन कम्पास का नीडल लगातार कई घंटों तक घूमता रहा था. जिसकी वजह से समुद्री यातायात बाधित हो गई थी. उत्तरी ध्रुव पर दिखने वाली नॉर्दन लाइट्स यानी अरोरा बोरियेलिस (Aurora Borealis) को इक्वेटर लाइन पर मौजूद कोलंबिया के आसमान में बनते देखा गया था. नॉर्दन लाइट्स हमेशा ध्रुवों पर ही बनता है.
1989 में आए सौर तूफान की वजह से उत्तर-पूर्व कनाडा के क्यूबेक में स्थित हाइड्रो पावर ग्रिड फेल हो गया था. आधे देश में 9 घंटे तक अंधेरा कायम था. कहीं बिजली नहीं थी. पिछले दो दशकों से सौर तूफान नहीं आया है. सूरज की गतिविधि काफी कमजोर है. इसका मतलब ये नहीं है कि सौर तूफान आ नहीं सकता. ऐसा लगता है कि सूरज की शांति किसी बड़े सौर तूफान से पहले का सन्नाटा है.

संगीता ने बताया कि फिलहाल हमारे पास या दुनिया के किसी भी वैज्ञानिक के पास सौर तूफान को मापने या उससे होने वाले असर की भविष्यवाणी करने वाली कोई प्रणाली या मॉडल नहीं है. हमें नहीं पता कि कोई भयावह सौर तूफान आता है तो इसका हमारे पावर ग्रिड्स, इंटनरेटन प्रणाली, नेविगेशन और सैटेलाइट्स पर क्या और कितना असर पड़ेगा. अगर एक बार फिर इंटरनेट प्रणाली बंद हुई तो उसे रीस्टार्ट करने या रीरूट करने में अरबों रुपयों का नुकसान हो जाएगा.


खबर इनपुट एजेंसी से

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About

नेशनल फ्रंटियर

नेशनल फ्रंटियर, राष्ट्रहित की आवाज उठाने वाली प्रमुख वेबसाइट है।

Follow us

  • About us
  • Contact Us
  • Privacy policy
  • Sitemap

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.

  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.