नई दिल्ली : महाभारत कथा से हम सभी परिचित हैं। कई धार्मिक विद्वान महाभारत को मनुष्य के जीवन का आईना भी बताते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं की महाभारत में कुछ ऐसी बातें बताई गई हैं, जिनके पीछे न केवल आध्यात्मिक, बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी छिपे हुए हैं। बता दें कि महाभारत काल में वर्तमान समय के आधुनिक विज्ञान का दर्शन कराया गया था। जिनका प्रमाण आज देखा और पढ़ा जा सकता है। आज हम महाभारत में छिपे कुछ ऐसे ही वैज्ञानिक तथ्यों पर बात करेंगे।
क्या महाभारत में किया गया था परमाणु हथियारों का इस्तेमाल
महाभारत ग्रंथ में बताया गया है कि युद्ध के 18 दिनों में करीब 1.5 अरब योद्धा, सैनिक इत्यादि की मृत्यु हो गई थी। इस दौरान ब्रह्मशिरा, ब्रह्मास्त्र, पाशुपतास्त्र, वैष्णवास्त्र, नारायण अस्त्र, अग्नि अस्त्र, नागास्त्र, वज्रास्त्र, वरूणास्त्र आदि जैसे दैवीय अस्त्रों का उपयोग किया गया था। इससे यही समझा जा सकता है कि महाभारत के में बहुत भीषण अस्त्रों का उपयोग किया गया था।
संजय ने किया था महाभारत के युद्ध का सीधा प्रसारण
सारथी गावलगण के पुत्र संजय महाभारत में सलाहकार थें। उन्होंने ही युद्ध में चल रही सभी गतिविधियों को अपनी दिव्य दृष्टि से देखकर धृतराष्ट्र को बताया था। वह धृतराष्ट्र के सलाहकार और उनके सारथी भी थे। इससे हमें यही ज्ञान होता है कि महाभारत काल में आज की तुलना में विज्ञान कितना आधुनिक रहा होगा।
अभिमन्यु जो गर्भ में ही बन गया योद्धा
महाभारत में एक कथा है कि, जब सुभद्रा गर्भवती थीं, तब उन्होंने अर्जुन से चक्रव्यूह में प्रवेश का रहस्य पूछा था। अर्जुन विस्तार से पूरी रणनीति को बता रहे थे और इन बातों को गर्भ में पल रहा अभिमन्यु भी सुन रहा था। लेकिन रहस्य जानने के बीच में ही सुभद्रा सो गई थीं। जिस वजह से अभिमन्यु को प्रवेश की प्रक्रिया का तो ज्ञान हुआ। लेकिन उसे चक्रव्यूह से निकलने की रणनीति को सीखने का मौका नहीं मिला। वर्तमान समय में आधुनिक विज्ञान भी यही कहता है कि जब मां के गर्भ में एक बच्चा पल रहा होता है, वह उसी समय बहुत कुछ सीखना शुरू कर देता है।
भ्रूण विकास, क्लोनिंग महाभारत में हो चुके हैं
21वीं सदी में विज्ञान बहुत आगे बढ़ चुका है। जिस क्लोनिंग प्रक्रिया को कुछ सालों पहले खोजा गया था, उसे महाभारत काल में स्पष्ट रूप से बताया जाता है। बता दें कि महाभारत की कथा में बताया गया है कि कौरवों के एक भ्रूण को 100 भागों में विभाजित करके अलग-अलग पत्रों में विकसित किया गया था, जिसे आधुनिक भाषा में इसे टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता है।