गौरव अवस्थी
नई दिल्ली। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष एवं सांसद सोनिया गांधी द्वारा राजस्थान से राज्यसभा के लिए पर्चा दाखिल करने के बाद रायबरेली लोकसभा क्षेत्र से नेहरू गांधी खानदान की एक और पीढ़ी की विदाई की इबारत लिख गई| पूरी तरह से विदाई के पहले सोनिया गांधी ने रायबरेली वालों के नाम एक भावुक अपील जारी की है| इस अपील में परिवार के पीढ़ियों पुराने संबंधों की याद दिलाते हुए परिवार के नए सदस्यों का साथ देने का आग्रह भी शामिल है लेकिन सवाल यह है कि क्या इस भावुक अपील से सोनिया गांधी या गांधी परिवार के प्रति रायबरेली में सहानुभूति की लहर अगले चुनाव में उठेगी?
इस अपील में उन्होंने दो दशक के चुनावी सफर में दिए गए सहयोग के प्रति आभार जताते हुए कहा कि रायबरेली से परिवार का रिश्ता कायम रहेगा| पत्र का मजमून है-‘ स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते अगला लोकसभा चुनाव लड़ने में अक्षम हूं| अब रायबरेली की सीधी सेवा का अवसर नहीं मिलेगा लेकिन मेरा मन रायबरेली में ही रहेगा| रायबरेली के बिना मेरा परिवार अधूरा है| रायबरेली से पीढ़यों पुराना रिश्ता है| श्वसुर फिरोज गांधी और सास इंदिरा गांधी की तरह ही रायबरेली के लोग चट्टान की तरह मेरे साथ भी खड़े रहे| यह अहसान कभी भूल नहीं सकते| पिछले दो चुनाव में जिस तरह विपरीत परिस्थितियों में आपने हमारा साथ दिया है हमें विश्वास है कि इस तरह परिवार के अन्य सदस्यों को भी अपना प्यार दुलार देते रहेंगे| ‘
इसमें कोई दो राय नहीं है कि सोनिया गांधी ने अपने ससुर फिरोज गांधी और सास श्रीमती इंदिरा गांधी की तरह ही अपने दो दशक के प्रतिनिधित्व काल में रायबरेली के विकास की चिंता की| इस चिंता का एक आधार यह भी हो सकता है कि दोहरी आए के आप पर संसदीय से इस्तीफा देने के बाद वर्ष 2006 में उपचुनाव में उन्होंने कुल पड़े मतों का 80% वोट हासिल कर इंदिरा गांधी की लोकप्रियता को भी पीछे छोड़ दिया था| जनता के इस प्यार को उन्होंने विकास के रूप में लौटने की कोशिश भी अपने दो दशक के कार्यकाल में पूरी शिद्दत से की| दो दशक में करीब 15000 करोड़ की परियोजनाएं रायबरेली के लिए मंजूर कराई| रेल कोच कारखाना, रेल पहिया कारखाना, आयुर्विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएफटी), 5-5 राजमार्गों की स्वीकृति, रायबरेली लखनऊ फोरलेन आदि विकास के कार्य सोनिया गांधी की ही देन हैं|
जानने वाले जानते हैं कि सोनिया गांधी रायबरेली में सांसद के रूप में काम गांधी नेहरू-गांधी परिवार की बहू के रूप में में ही ज्यादा आती जाती रहीं| जब तक उनका स्वास्थ्य साथ देता रहा वह अपने लोकसभा क्षेत्र में हर तीन महीने में एक बार भ्रमण के रिवाज को जारी रखे रहीं| बहुत कम मौके ऐसे आए होंगे जब सोनिया को सार्वजनिक सभा में सर पर पल्लू के बिना किसी ने देखा या सुना होगा| उनकी संजीदगी यहां के आम लोगों के दिलों पर राज करती है| आप लोगों के दुख दुख दर्द को जिस तरह से उन्होंने समझा और उसके निराकरण की कोशिश की, उसका प्रभाव भी यहां देखने को मिलता है लेकिन पिछले चुनाव के बाद से क्षेत्र में न आना विरोधी भाजपा को चुनाव के लिए मुद्दा जरूर देता है| पर्चा दाखिले के बाद से ही स्थानीय भाजपा नेता हमलावर हैं| भाजपा नेता इस पराजय के डर से मैदान छोड़ना कहकर प्रचारित करना शुरू कर चुके हैं| विरोध को देखते हुए ही इस बात के कयास ज्यादा हैं क्या सोनिया गांधी की भावुक अपील गांधी परिवार के नए उत्तराधिकारी के प्रति सहानुभूति की लहर उठा पाएगी? इसका जवाब कांग्रेस के मीडिया प्रभारी विनय द्विवेदी कहते हैं-‘ रायबरेली के लोगों की गांधी परिवार के साथ सहानुभूति पहले भी थी और परिवार की मुखिया सोनिया गांधी की भावुक अपील के बाद सहानुभूति की लहर उठेगी और जरूर उठेगी| रायबरेली के लोग गांधी परिवार के उत्तराधिकारी को इस तरह हाथों-हाथ लेंगे जिस तरह उन्होंने सोनिया गांधी को दो दशक पहले लिया था|’ अब यह आने वाला लोकसभा चुनाव परिणाम बताएगा कि इस भावुक अपील का असर हुआ या बीजेपी का प्रचार परवान चढ़ा|