योगीराज प्रदीप कुमार तिवारी हरिद्वार से योग एवं नैदानिक चिकित्सा में परास्नातक है। ये देश के कई हिस्सों में योग के द्वारा कई जटिल बीमारियों का इलाज करते हैं। इसके साथ ही अपने लेखों के माध्यम से लोगों को योग के प्रति जागरूक करते रहते हैं
कोरोना वायरस के चलते देशव्यापी लॉक डाउन किया गया है जिसके कारण बहुत से लोगो को घरों से ही काम करना पड़ रहा है । जिसके चलते उनके शरीर में विभिन्न प्रकार की मानसिक, शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो रही है शरीर को तनाव मुक्त करने के लिए उन्हें कुछ योगाभ्यास के लिए उनको योगाभ्यास की विशेष आवश्यकता है क्योंकि उनको 10 घंटे एक ही जगह पर बैठे-बैठे कार्य करना पड़ रहा है। जिससे शरीर पर दबाव व लचीलापन खोता जा रहा है। शरीर को किसी भी प्रकार का वर्कआउट न होने से उनके शरीर का वजन भी बढ़ता जा रहा है जिसके चलते आने वाले समय में बहुत ही दुष्परिणाम होने वाले है। जिससे बचने के लिए हमें योगाभ्यास करना चाहिए जिससे हमारा शरीर व मन दोनों संतुलित रहे।
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ताड़ासन
नियमित रूप से ताड़ासन करने पर शरीर की मांसपेशियों में लचीलापन आता है। इसके साथ ही यह योगा आपको चुस्त-दुरुस्त ही नहीं रखता बल्कि यह आपके शरीर को सुड़ौल भी बनाता है। इसके अलावा अगर आपकी हाइट कम है तो यह योग आपके लिए और भी फायदेमंद है। ताड़ासन को करना बहुत आसान है। इसके ज्यादा से ज्यादा फायदा पाने के लिए आपको इसे सही विधि से करना होगा। तो चलिए जानते हैं ताड़ासन करना का तरीका और इसके कुछ फायदे।इसे करने के लिए आप सबसे पहले खड़े हो जाए और अपनी कमर एंव गर्दन को सीधा कर लें। इसके बाद आप अपने हाथ को सिर के ऊपर करें और सांस लेते हुए धीरे-धीरे पूरे शरीर को खींचें। खिंचाव को पैर की अंगुली से लेकर हाथ की अंगुलियों तक महसूस करें। इस स्थिति में कुछ समय रहें और सांस ले, सांस छोड़ें। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपने हाथ और शरीर को सामान्य अवस्था में ले आएं। इस योगासन की कम से कम इसे 9-10 बार प्रैक्टिस करें।
तिर्यक ताड़ासन
तिर्यक ताड़ासन करने के लिए सबसे पहले आप खड़े हो जाइए दोनों पैरों के बीच में कंधों से ज्यादा दूरी ले लीजिए अब दोनों हाथों को ऊपर की ओर लॉक कर लीजिए अब लंबी गहरी श्वास भरते हुए शरीर को ऊपर की ले जाइए और अपनी बाईं ओर की और झुकाइए कुछ देर तक रोकिए अब धीरे-धीरे वापस आएंगे और दूसरी साइड उसी क्रिया को दोहराएंगे इस आसन को भी 10 से 12 बार करें। बैठे-बैठे शरीर की रीड की हड्डी पर दबाव पड़ जाता है जिससे कमर में दर्द होने लगता इस तरह के खिंचाव से हमारी रीड की हड्डी लचीली होती है जिससे कमर दर्द में आराम मिलता है जिससे हम अपना काम देर तक अपना कर सकते हैं।
कटिचक्रासन
कटी का मतलब होता है कमर और चक्रासन का मतलब होता है घुमाना कमर को घुमाना हम दोनों पैरों के बीच में कंधों के बराबर गैप लेते हैं दोनों हाथों को कंधों के बराबर उठा लेते है लंबी गहरी श्वास भरते हैं श्वास छोड़ते हुए। शरीर को घुमाते हुए पीछे की ओर देखते हैं। फिर सीधा आते हैं फिर इसी तरह दूसरी साइड जाएंगे इस क्रिया को भी 10 से 12 बार करते है इससे भी हमारी रीड की हड्डी फ्लैक्सिबल होती है वह कमर दर्द में बहुत ही आराम मिलता व शरीर की जकड़न दूर होती है जिससे हमारा कमर दर्द भी दूर होता है ।
हस्तोसत्ताहनासन
हस्तोसत्ताहनासन का अर्थ क्या है ? ‘हस्तत’ का अर्थ होता है हाथ और ‘उत्ताून’ का अर्थ होता है ऊपर की ओर तानना। इस आसन में हाथों को ऊपर की ओर ताना अर्थात् फैलाया जाता है। इसीलिए इस आसन का नाम हस्तोात्तातनासन है। हस्तोसत्ताहनासन खड़े होकर करने वाले योगाओं में एक महत्वपूर्ण योग है। यह योगाभ्यास आपके पुरे शरीर में खिंचाव लेकर आता है और आपके मांशपेशियों को तंदुरुस्त रखता है। यह किडनी और शरीर से वजन कम करने के लिए भी बहुत प्रभावी योगाभ्यास है। इसके विधि और लाभ जानने के साथ साथ आप इसके सावधानियां के बारे में भी जानेंगे।
वृक्षासन
इस आसन को करने के लिए सीधा खड़े हो जाइए एक पैर को मोड़ करके दूसरे पैर के घुटने के पास लगाकर सेट कर लीजिए अब दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाकर प्रणाम की स्थिति में रख लीजिए अब सामने की ओर एक केंद्र बिंदु बना लीजिए उसे लगातार देखते रहिए । जिससे हमारा बैलेंस बना रहेगा इस आसन को करने से हमारे शरीर में स्थितरता आती है, मन शांत होता है शरीर एकाग्र होता है शरीर तनाव मुक्त होता है।
अनुलोम विलोम
इस प्राणायाम को करने के लिए अपने बाएं हाथ की उंगलियों का सहारा लेते हुए डायना की बंद करते हैं वह लंबी गहरी सांस लेते हैं फिर बायना को बंद करते हुए दाएं नाक से स्वास छोड़ते हैं इसी तरह दायना को बंद करते होगे श्वास भरते हैं फिर श्वास छोड़ते हैं पहले सीधा फिर उल्टा उल्टा और सीधा इसी आवृत के साथ श्वास को अंदर लेते हैं वह श्वास को बाहर छोड़ते जिससे हमारा मन शांत होता है स्थिरता आती है हमारी हार्ट बीट कंट्रोल होती है हमारा शरीर तनाव मुक्त होता है हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम का नाम एक भ्रामरी मधुमखी के नाम से पड़ा है। अर्थात जब हम भ्रामरी प्राणायाम करते है तो एक मधुमखी के आवाज के जैसे कंपन या ध्वनि निकलती है। यह प्राणायाम व्यक्ति के दिमाग़ और मन को शांत करने में अति-महत्वपूर्ण है। यह प्राणायम करने में बिलकुल आसान है जिसे हम आसानी से कही भी किसी जगह कर सकते है। भ्रामरी प्राणायाम करने से क्रोध, चिंता और निराशा पर काबू पा सकते है।
कपालभाति प्राणायाम
कपालभाति को प्राणायाम का एक हिस्सा माना गया है। इसमें तेजी से सांस छोड़ने की प्रक्रिया की जाती है, जिससे विभिन्न बीमारियों का इलाज हो सकता है। अगर यह कहें कि कपालभाति शरीर को अंदर से साफ करने का तरीका है, तो गलत नहीं होगा। कपालभाती दो शब्दों से मिलकर बना है ‘कपाल’ यानी ‘माथा/ललाट’ और ‘भाति’ जिसका अर्थ है ‘तेज’। कपालभाति करने से शरीर के सभी अंग सही प्रकार से कार्य करने में सक्षम होते हैं और खून को शुद्ध करने में भी मदद मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि नियमित तौर पर कपालभाति करने से दिमाग शांत होता है और व्यक्ति के माथे पर उसकी चमक दिखने लगती है
नोट– दिए गए योगाभ्यास का पालन किसी प्रशिक्षित योगा टीचर से ही करे ।