पटना. बिहार की राजनीति प्राय: चौंका देती है. एक बार फिर अचानक ही एक ऐसी ही खबर आई कि जिसे जान कर सभी चौंक गए. दरअसल, बुधवार की सुबह महा शिवरात्रि पूजन के दिन अचानक खबर आई कि बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार होना है. इस खबर ने सबको इसलिए चौंकाया क्योंकि दो दिन पहले ही यह कयास लगने लगे थे कि संभव है बिहार में समय से पहले चुनाव करवा लिए जाएं.
इस बात की चर्चा ने जोर इसलिए पकड़ा था, क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी और बिहार सरकार में मंत्री विजय कुमार चौधरी ने यह कहकर चौंका दिया था कि हम चुनाव के लिए तैयार हैं, फैसला निर्वाचन आयोग करेगा कि कब चुनाव कराए जाएं. उनके इस बयान को समय पूर्व चुनाव का संकेत माना गया और बिहार में सियासी हलचल तेज होने लगी. तब से ही यह कयास लगने लग गए थे कि हो सकता है कि बिहार में विधानसभा चुनाव समय से पहले करवा लिए जाएं.
इस बात को लेकर चर्चा इसलिए तेज होती जा रही थी कि हाल में ही जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के सभी जिलों का दौरा प्रगति यात्रा के क्रम में किया और विकास योजनाओं का पिटारा खोल दिया, इसलिए अटकलें भी तेज हो गईं. इसके बाद जब बीते 24 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भागलपुर में रैली की और लाखों की संख्या में लोगों का जुटान हुआ तो यह क्या और लगने लगा कि हो सकता है कि बिहार में समय से पहले चुनाव कराए जाएं.
बिहार में तय वक्त से पहले चुनाव करवाए जाने की चर्चा तब और तेज होती गई, जब कांग्रेस और राजद समेत तमाम दलों ने भी अपनी चुनावी तैयारियों को लेकर बातें करनी शुरू कर दीं. राहुल गांधी के लगातार बिहार दौरों ने भी ऐसी कयासबाजियों को हवा दी थी. वहीं, तेजस्वी यादव के कार्यकर्ता संवाद यात्रा के कारण भी बिहार में चुनाव लेकर गहमागहमी तेज होती दिखी. लेकिन, फिर आई बुधवार (26 फरवरी) की सुबह और अचानक खबर आई कि बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार होना है.
खबर इतनी भर नहीं आई कि मंत्रिपरिषद विस्तार होना है, बल्कि खबर यह भी आई कि बजट सत्र से पहले मंत्रि परिषद का होगा. लेकिन, फिर तत्काल ही खबर आई कि बुधवार को की शाम को ही नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. अब जब बिहार में मंत्रिपरिषद का विस्तार होने जा रहा है तो तुरंत चुनाव की संभावना से की बातों पर विराम लगता दिख रहा है. जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर ने समय से पहले चुनाव कराने की संभावना से इनकार किया था, इसकी पष्टि होती लग रही है. हालांकि, राजनीति है राजनीति में कब क्या हो कोई नहीं जानता.