नई दिल्ली। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत बकाया राशि को लेकर संसदीय पैनल ने बुधवार (12 मार्च, 2025) को अपनी रिपोर्ट जारी की है.
संसदीय पैनल की इस रिपोर्ट में मनरेगा की मजदूरी और अन्य चीजों को लेकर केंद्र के हिस्से की बकाया राशि में लगातार देरी पर चिंता जाहिर की गई है. संसदीय पैनल के सवालों के जवाब में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) की तरफ से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, (15 फरवरी 2025) तक 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 12,219.18 करोड़ रुपये मजदूरी के रूप में लंबित हैं, जबकि सामग्री और अन्य चीजों में 11,227.09 करोड़ रुपये की देनदारियां हैं.
तीन राज्यों में केंद्र का सबसे ज्यादा बकाया
आंकड़ों के मुताबिक, केंद्र सरकार के सबसे ज्यादा बकाया वाले राज्यों में बिहार, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु हैं, जिनमें क्रमश 1,013.79 करोड़, 1,485.12 करोड़ और 2156.10 करोड़ रुपये बकाया है.
अनुदानों की मांग को लेकर 2025-26 की जांच के दौरान पैनल की तरफ से ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में प्रश्न पूछे गए. ग्रामीण विकास मंत्रालय की तरफ से 15 फरवरी, 2025 तक उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार वेतन और सामग्री दोनों घटकों सहित कुल लंबित देनदारियां 23,446.27 करोड़ रुपये हैं. यह मौजूदा बजट का 27.26 प्रतिशत है जिसका अर्थ है कि आवंटित धनराशि का एक-चौथाई से अधिक पिछले वर्ष के बकाये को चुकाने में इस्तेमाल किया जाएगा.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के लिए वास्तविक कार्य बजट घटकर 62,553.73 करोड़ रुपये रह गया है, जिससे योजना के प्रभावी ढंग से काम करने और ग्रामीण संकट को रोकने और आजीविका सुरक्षा के अपने प्राथमिक उद्देश्य को पूरा करने की क्षमता काफी सीमित हो गई है. समिति ने पाया कि भले ही मंत्रालय ने लंबित वेतन का कारण आवश्यक दस्तावेजों की प्राप्ति न होना बताया है, लेकिन इस देरी ने ग्रामीण श्रमिकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.
केंद्र ने रोका बंगाल का फंड
पैनल के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 एवं चालू वित्तीय वर्ष के लिए मनरेगा के साथ-साथ प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) सहित विभिन्न अन्य योजनाओं के तहत पश्चिम बंगाल को कोई केंद्रीय धनराशि जारी नहीं की गई है. केंद्र ने राज्य में योजना के कामकाज में कथित अनियमितताओं के कारण 2022 से पश्चिम बंगाल को मनरेगा के तहत धन का वितरण रोक दिया है.
केंद्र सरकार ने पिछले 2 सालों में कई मौकों पर बंगाल में योजना के कामकाज की समीक्षा के लिए टीमें भेजी हैं. हालांकि, कथित अनियमितताओं में बंगाल की तरफ से की गई कार्रवाई रिपोर्ट को केंद्र सरकार ने असंतोषजनक पाया है और इसलिए धन रोक दिया गया है. इस संबंध में एक मामला अदालत में भी लंबित है.