रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि रक्षा अधिग्रहण परिषद ने ‘मेक इन इंडिया’ श्रेणी के तहत भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण और परिचालन जरूरतों के लिए 2,236 करोड़ रुपए के एक पूंजी अधिग्रहण प्रस्ताव के लिए आवश्यकता की स्वीकृति प्रदान की. साथ ही कहा कि आईएएफ का खरीद प्रस्ताव जीसैट-7सी सैटेलाइट और ग्राउंड हब के लिए सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो की रीयल-टाइम कनेक्टिविटी के लिए था. इस परियोजना में भारत में उपग्रह के पूर्ण डिजाइन, विकास और प्रक्षेपण की परिकल्पना की गई है.
सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एसडीआर) के लिए जीसैट -7 सी सैटेलाइट और ग्राउंड हब को शामिल करने से हमारे सशस्त्र बलों की सुरक्षित मोड में सभी परिस्थितियों में एक दूसरे के बीच एलओएस से परे संचार करने की क्षमता में वृद्धि होगी. इसी महीने रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से 12 हेलीकॉप्टर समेत 7,965 करोड़ रुपए के हथियारों और सैन्य उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी थी. मंत्रालय की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी गई.
मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि डीएसी ने 12 लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर खरीदने के प्रस्ताव के अलावा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड से लिंक्स यू2 नेवल गनफायर कंट्रोल सिस्टम की खरीद को भी मंजूरी दी, जो नौसेना के युद्धपोतों की निगरानी और संचालन क्षमताओं को बढ़ाएगा. डीएसी ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा डोर्नियर विमान के उन्नयन को भी मंजूरी दी, जिसका मकसद नौसेना की समुद्री टोही और तटीय निगरानी क्षमता बढ़ाना है.
भारत ने हाल ही में चीन सीमा पर अमेरिका में बने हथियारों को तैनात किया है. अमेरिकी हथियारों को तैनात करने से भारत की सैन्य ताकत में इजाफा हुआ है. भारत की ओर से अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए ये एक नए आक्रामक बल का हिस्सा है, क्योंकि हिमालय में विवादित क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के बीच गतिरोध काफी लंबे समय से जारी है. अमेरिका में बने चिनूक हेलीकॉप्टर, अल्ट्रा-लाइट टोड हॉवित्जर और राइफल्स के साथ-साथ घरेलू स्तर पर निर्मित सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और एक नए जमाने की निगरानी प्रणाली पूर्वी तिब्बत की सीमा से लगे क्षेत्रों में भारतीय सैनिक की स्थिति को मजबूत करेंगे.
खबर इनपुट एजेंसी से