मुरादाबाद : अगर आप कर्जों से परेशान हैं और सब कुछ करके भी आप अपने कर्जों से निजात नहीं पा रहे हैं तो भगवान भोले शंकर के इस मंदिर में आपको राहत मिल सकती है। जी हां, मुरादाबाद के शाह पुर तिगरी रोड पर स्थित ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर की मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव की आराधना करने से ऋण से मुक्ति मिल जाती हैं। इसी विश्वास और आस्था के कारण यहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए दूर-दूर से आते हैं सावन और महाशिवरात्रि पर तो श्रद्धालुओं की दूर तक कतारें लग जाती है।
इस मंदिर के प्रबंधक एवं संस्थापक लाला नत्थू मल की भगवान शिव में अटूट आस्था थी। मंदिर और इसके आसपास उनकी धान मिल थी। वह मिल के पास स्थित एक मंदिर का जीर्णोद्धार कराना चाहते थे। कुछ लोगों के विरोध के चलते उन्होंने अपनी मिल के ही एक हिस्से में भगवान शिव का मंदिर स्थापित करने का निर्णय लिया। 17 फरवरी सन 1997 को प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। मंदिर के लिए शिवलिंग उज्जैन की नर्मदा नदी से लाया गया। यह कृत्रिम न होकर पूरी तरह प्राकृतिक है।
शिवलिंग की स्थापना के समय नत्थूमल ने प्रार्थना की थी कि जो भी इसकी आराधना और जलाभिषेक करे उसका ऋण से उद्धार हो जाए। इसी लिए उन्होंने इस मंदिर का नाम भी ‘ऋणमुक्तेश्ववर महादेव मंदिर’ रखा। तभी से मान्यता चली आ रही है जो भी इस शिवलिंग की चालीस दिन पूजा करता है और जलाभिषेक करता है उसका ऋण से उद्धार हो जाता है। ऐसे हजारों भक्त है तो स्वीकार करते हैं कि विधान से यहां पूजन और जलाभिषेक करने पर उनकी मनोकामना पूरी हुई।
मनोकामना पूरी होने पर कराते हैं अनुष्ठान
संस्थापक नत्थू मल के छोटे पुत्र और मंदिर के प्रबंधक कुलदीप कुमार बंसल बताते हैं कि इस मंदिर को कम समय में ही दूर-दूर तक ख्याति मिल गई। सावन का महीना हो, महाशिवरात्रि या फिर कोई धार्मिक अवसर, यहां श्रद्धालुओं की भीड़ हमेशा रहती है। भक्तों की यहां शिव आराधना में गहरी आस्था है। मनोकामना पूरी होने पर लोग भजन-कीर्तन, राम कथा,शिव पुराण और भागवत कथाएं भी कराते हैं।
यहां दक्षिण मुखी है हनुमान जी की प्रतिमा
मंदिर के पुजारी राम कुमार उपाध्याय बताते हैं कि मंदिर में विशेष रूप से हनुमान जी की दक्षिण मुखी प्रतिमा है। यह बहुत कम ही मंदिरों में मिलती है। दक्षिण मुखी का मतलब है हनुमान जी का लंका की ओर गमन की तैयारी, यानि शत्रुओं का नाश करना। जब भगवान शत्रुओं का नाश कर देंगे तो हमारे भी कष्ट मिटना स्वभाविक है। इसीलिए श्रद्धालु यहां हर शनिवार और मंगलवार को हनुमान जी को चोला चढ़ाते हैं। उन्होंने बताया पहला मातृ-पितृ ऋण, दूसरा ऋषि ऋण और तीसरा देव ऋण का होता है। इन ऋणों से मुक्ति के लिए प्रभु सेवा आवश्यक है।
दर्जनभर से अधिक प्रतिमाएं यहां हो चुकी स्थापित
ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर में अब श्री गणेश, लक्ष्मी-नारायण, शिव परिवार, शिव-पार्वती, साई बाबा, मां दुर्गा,राधा-कृष्ण,राम दरबार, मां अन्नपूर्णा, मां संतोषी, मां गायत्री, मां सरस्वती, काली माता और शनि प्रतिमा भी स्थापित हो चुकी हैं। मंदिर प्रबंधन इसके विकास के लिए कई उपाय कर रहा है। मनोकामना पूर्ति के बाद भक्त भी अपनी आस्था के अनुसार मंदिर का विकास करने में योगदान करते हैं।