नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने नेशनल हेराल्ड केस को लेकर कांग्रेस पर तंज कसा है. जवाहर लाल नेहरू को सरदार पटेल की चिट्ठी का जिक्र करते हुए सवाल भी किए. त्रिवेदी ने कहा कि नेशनल हेराल्ड केस को लेकर कांग्रेस देश भर में प्रदर्शन कर रही है. ये अखबार तीन भाषाओं (हिंदी, अंगेजी और उर्दू) में आता था. अगर कांग्रेस के 10 फीसदी कार्यकर्ता भी इसे खरीदते तो बचाया जा सकता था. कांग्रेस का रवैया उसके चरित्र, चेतना और चिंतन पर सवाल खड़ा करता है. सच तो ये है कि कांग्रेस के लोग ये नहीं चाहते थे कि ये अखबार चले.
भाजपा सांसद ने कहा कि एक कंपनी 90 करोड़ में बिक गई और जिसके पास हजारों करोड़ की संपत्ति है. इसमें खरीदने और बेचने वाले एक ही व्यक्ति थे. क्या कांग्रेस का कोई नेता भी अपना अखबार खरीदने को तैयार नहीं था? जबकि उस दौरान राजीव गांधी फाउंडेशन को काफी चंदा मिला था. क्या कौमी अखबार भी किसी ने नहीं खरीदा?
संपत्ति खरीदने वाले और बेचने वाले एक ही हैं
भाजपा सांसद ने कहा, नेशनल हेराल्ड केस को लेकर कांग्रेस देश में प्रदर्शन कर रही है, ये विचित्र केस है कि संपत्ति खरीदने वाले और बेचने वाले एक ही हैं. सवाल ये उठता है कि कांग्रेस पचास साल में अपनी विरासत नहीं बचा पाई. जिस दौर में राजीव गांधी फाउंडेशन को खूब पैसे मिलते थे, उनके कोई नेता इसे खरीद नहीं पाए. सरदार पटेल ने 5 मई 1950 में पत्र लिखा कि इस विषय को लेकर आपत्ति है. उसी दिन जवाहर लाल नेहरू जवाब देते हैं.
सरदार पटेल ने जवाहर लाल नेहरू को चिट्ठी लिखी
उन्होंने कहा, सरदार पटेल ने जवाहर लाल नेहरू को चिट्ठी लिखी और कहा कि मुझे इस विषय पर आपत्ति है कि यह स्वतंत्रता सेनानी का अखबार था. इससे सरकारी लोग जुड़े हैं. सरदार पटेल एक और चिट्ठी लिखते हैं, जिसमें वो इसे चैरिटी का विषय नहीं मानते. जवाहर लाल नेहरू सरदार पटेल को लिखते हैं. वो हेराल्ड को गुड बिजनेस बताते हैं और इसमें निवेश को बेहतर बताते हैं. अब कांग्रेस इस पर भावनात्मक बयान क्यों दे रही है.