नई दिल्ली l कहीं भी आना-जाना कितना आसान हो गया है ना! किसी भी शहर के, किसी भी कोने में, आप कोई भी एड्रेस बड़ी आसानी से खोज सकते हैं. वहां तक पहुंचने के लिए कितना समय लगेगा, ये भी चलने से पहले पता चल जाता है. कौन-से रास्ते पर जाम होगा, कौन-सा रास्ता खुला होगा, ये भी अपने फोन पर चुटकीभर में जान सकते हैं. ये सब मुमकिन हुआ है Maps की बदौलत. ड्राइव करने वाले ज्यादातर लोग गूगल मैप का इस्तेमाल करते हैं, ताकि आसानी से सही पते पर पहुंचा जा सके.
मैप्स का आइडिया पहली बार गूगल के सीईओ सुंदर पिचई (Sundar Pichai) को आया. सुंदर पिचई इस समय एल्फाबेट (Alphabet Inc.) के सीईओ हैं. संभव है कि आप ‘एल्फाबेट’ को नहीं जानते हों. यदि ऐसा है तो एक बार Google कर लीजिए! चलिए, हम ही बता देते हैं कि गूगल जैसी कई कंपनियां एल्फाबेट की सब्सिडरी (subsidiary) हैं. मतलब ये कि गूगल, एल्फाबेट का एक प्रोडक्ट है.
यूं आया Google Map बनाने का आइडिया
सुंदर पिचई अमेरिका में रहते हैं. बात 2004 की है. उनके एक जानने वाले ने उन्हें अपने घर डिनर पर बुलाया. सुंदर को चूंकि अपनी पत्नी के साथ जाना था तो उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर एक प्लान बनाया. सुंदर ने कहा कि उन्हें सुबह ऑफिस जाना है तो ऑफिस के बाद वह सीधा डिनर के लिए जानकार के घर पहुंच जाएंगे. उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि वह घर से सीधे वहां पहुंच जाए. मतलब कि पत्नी को सीधे घर से डिनर के लिए जाना था और सुंदर पिचई को ऑफिस से सीधे डिनर के लिए पहुंचना था.
डिनर प्रोग्राम रात को 8 बजे का था. सुंदर पिचई की पत्नी अंजलि अपनी कार से रात को आठ बजे डिनर के लिए पहुंच गई. सुंदर पिचई भी ऑफिस से निकल पड़े, लेकिन वे रास्ता भटक गए. वहां पहुंचते-पहुंचते उन्हें लगभग 10 बज गए. पिचई जब वहां पहुंते तो उनकी पत्नी वहां से डिनर करके निकल चुकी थी.
पत्नी से झगड़ा हुआ तो रात ऑफिस में बिताई
सुंदर पिचई भी वहां से बिना कुछ खाये अपने घर चले गए. घर पहुंचते ही उनकी पत्नी अंजलि ने उनके साथ झगड़ा शुरू कर दिया, क्योंकि वह समय पर नहीं पहुंचे और उनकी बेइज्जती हो गई. अंजलि का मूड खराब देखकर सुंदर पिचई ने फिर से (उसी समय रात को) ऑफिस लौट जाना ही उचित समझा.
अब सुंदर वापस ऑफिस पहुंच गए और पूरी रात वहीं बिताई. वे पूरी रात एक ही बात सोचते रहे- मैं रास्ता भटक गया तो न जाने कितने ही लोग रोजाना ऐसे ही रास्ता भटक जाते होंगे. कुछ ऐसा होता कि कोई रास्ता न भटके को कितना अच्छा होता. पूरी रात सोचते-सोचते उन्होंने सोचा कि यदि Map उनकी जेब में होता और डायरेक्शन सही मिल जाती तो रास्ता नहीं भटकते.
टीम ने हाथ खड़े कर दिए
अगली सुबह सुंदर पिचई ने अपनी पूरी टीम को बुला लिया और Map बनाने का आइडिया सबके सामने रखा. टीम ने ये आइडिया सुनते ही हाथ खड़े कर दिए. टीम को उनके आइडिया में भरोसा नहीं था, लेकिन लगभग दो दिन लगातार टीम के साथ मीटिंग की और उन्हें एक ऐसा प्रॉडक्ट डिजाइन करने के लिए मना लिया, जो लोगों को राह दिखाए.
अब लोग चलते हैं इनके बताए रास्ते पर
सुंदर पिचई और उनकी टीम ने कड़ी मेहनत करके 2005 में गूगल मैप बनाकर अमेरिका में लॉन्च कर दिया. अगले ही साल 2006 में इंग्लैंड और 2008 में भारत में लॉन्च कर दिया. और अब तो आप जानते ही हैं कि पूरी दुनिया को सही रास्ता दिखाने का काम उनके बनाए Maps ही कर रहे हैं. एक आंकड़े के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर सातवां इंसान गूगल मैप्स का इस्तेमाल करता है.
खबर इनपुट एजेंसी से