एलियंस या चीनी जासूसी गुब्बारा. आज दुनिया में इस बार पर बहस छिड़ी हुई है. इसकी शुरुआत होती है तीन फरवरी से. जब अमेरिका के हाई सेंसटिव जोन में कुछ संदिग्ध आसमान में उड़ते हुए दिखा. पेंटागन ने इसकी रिपोर्ट दी. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसको मार गिराने से पहले रोका इसके बाद एयरफोर्स के फाइटर जेट ने इसको मार गिराया. चीन बौखला गया. अनाब-शनाब बयानबाजी होने लगी. चीन ने कहा कि मलबा हमें दे दो. अमेरिका ने वो भी नहीं माना. उसकी जांच की जा रही है. दरअसल, इस घटना के सात दिन हो चुके हैं. सात दिनों में दो जासूसी गुब्बारे अमेरिका ने अपने क्षेत्र में मार गिराया. एक और चीनी गुब्बारा कनाडा में दिखा. इसको भी अमेरिका के फाइटर जेट ने मार गिराया.
ऐसा पहली बार नहीं है जब इसकी चर्चा छिड़ी हो. गुब्बारे से जासूसी तो 200 साल पहले भी हुई थी. मगर सवाल ये उठता है कि अमेरिका इनको UFO क्यों कहता है? दरअसल, अमेरिका भी एलियंस की फिलॉस्पी को मानता है. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार 2007-12 तक अमेरिका ने हर साल अपने रक्षा बजट से 22 मिलियन डॉलर (2 अरब रुपये) UFO (Unidentified flying object) की खोज करने में खर्च किए. ये सिलसिला 2012 तक सीमित नहीं रहा. 2017 को फिर एक रिपोर्ट आई कि अमेरिका यूएफओ की खोज करने के लिए अभी भी करोड़ो डॉलर खर्च कर रहा है. अमेरिका का रक्षा बजट 600 मिलियन डॉलर का है. जानिए अब तक क्या-क्या हुआ?
पांच फरवरी को पेंटागन ने सबसे पहले संदिग्ध वस्तुओं को उड़ते हुए देखा. इसके बाद पता चला की ये चीनी जासूसी गुब्बारे हैं. जोकि अमेरिका के सेंसटिव जोन में उड़ रहा है. फोर्स ने अमेरिकी राष्ट्रपति के आदेशों का इंतजार किया और इसके बाद अलास्का के ऊपर इसे मार गिराया गया. इसी दिन अमेरिका-चीन के रिश्ते अच्छे होने की संभावना थी. क्योंकि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन चीन यात्रा पर जा रहे थे. इस खुलासे के बाद यात्रा रद्द हो गई.
इसके तुरंत बाद एक और चीनी जासूसी विमान को आसमान में देखा गया. ये लैटिन अमेरिका वाले क्षेत्र में काफी ऊंचाई पर उड़ रहा था. तब अमेरिका ने कहा कि कई और गुब्बारे भी चीन की ओर से निगरानी के लिए भेजे गए होंगे. इसको भी मार गिराया गया. चीन अब एकदम फायर हो गया. उसने इसे अमेरिका की साजिश करार दिया.
ब्रिटिश रक्षा मंत्री ने बयान दिया कि हम जानते हैं कि ये गुब्बारे निगरानी अभियान चलाने के लिए डिजाइन किए गए (चीन के) बैलून बेड़े का हिस्सा हैं. इसलिए मैं यह सिफारिश करूंगा कि ये ब्रिटेन के ऊपर नजर आएं तो इन्हें मार गिरा दिया जाए.
अमेरिका के बाद बीते शनिवार को कनाडा में एक उड़ता बैलून दिखा. कनाडा के राष्ट्रपति जस्टिन ट्रूडो ने शनिवार को एक ट्वीट करते हुए कहा कि कनाडाई और अमेरिकी विमान साथ आए और एक यूएस एफ-22 ने ऑब्जेक्ट पर सफलतापूर्वक फायर किया.
कुल मिलाकार तीन गुब्बारों को मार गिराया गया. ट्रूडो ने कहा कि युकोन में कनाडाई सेना अब ‘ऑब्जेक्ट के मलबे को रिकवर करेगी और उसकी जांच करेगी.’ उन्होंने कहा कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ हालिया घुसपैठ पर बात की.
अभी भी कंफ्यूज्ड है सुपरपावर अमेरिका
ये तो रहा पूरा घटनाक्रम. अब बात करते हैं अमेरिका के UFO Unit की. अमेरिका को अभी भी संदेह है कि एलियंस है या जासूसी गुब्बारे. पेंटागन के अधिकारियों ने रविवार को कहा कि वो अज्ञात वस्तुओं (Unidentified Objects) की दृष्टि से रडार की अधिक बारीकी से जांच कर रहे हैं. यानी की अमेरिका को अभी तक ये तय नहीं हुआ कि वो चीन के जासूसी गुब्बारे हैं या कुछ और. उन्होंने कहा कि अभी यह पहचानने में सक्षम नहीं हैं कि सबसे हालिया वस्तुएं क्या हैं, या कितनी लंबी हैं. एक प्रेस ब्रीफिंग में वायु सेना के जनरल ग्लेन वैनहर्क ने कहा कि हम उन्हें ऑब्जेक्ट कह रहे हैं, गुब्बारे नहीं इसके पीछे एक कारण है. ग्लेन उत्तरी अमेरिकी एयरोस्पेस डिफेंस कमांड (NORAD) और उत्तरी कमान के प्रमुख के रूप में अमेरिकी हवाई क्षेत्र की सुरक्षा करते हैं.
2004 और 2021 के बीच 144 बार दिखे UFO
एक बात और यहां. कुछ दिनों पहले अमेरिकी सेना ने खुलासा करते हुए कहा कि प्रेसिडेंट ट्रंप के शासनकाल के दौरान भी चीनी जासूसी गुब्बारों को देखा गया मगर इसकी जानकारी प्रेसिडेंट तक नहीं पहुंची. दरअसल,अमेरिका उन गुब्बारों को एलियंस मान बैठी थी. 02/12/2023 को एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई जिसमें ये बताया कि 2021 में सार्वजनिक की गई एक रिपोर्ट के अनुसार 2004 और 2021 के बीच 144 बार आसमान में ऐसी घटनाएं हुईं. जिनको अमेरिका यूएफओ मानती रही. अब अमेरिका और चीन दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.