लखनऊ: यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है जिसने नए सिरे से आरक्षण के प्रावधान के मुताबिक मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद से राज्य में इस फैसले का फायदा और नुकसान उठाने वाले लोग आंदोलन कर रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ कुछ कैंडिडेट सुप्रीम कोर्ट गए थे जिस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट अब 25 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई करेगा। हाईकोर्ट के आदेश से पुराने शिक्षक तनाव में आ गए हैं जबकि दावेदार अभ्यर्थियों की उम्मीद जग गई है।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद अभ्यर्थियों ने शुरू किया था प्रदर्शन
69000 शिक्षक भर्ती मामले में लखनऊ बेंच हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को जब नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया तो विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। एक तरफ चयनित अभ्यर्थी अपनी नौकरी जाने के डर से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे तो दूसरी ओर अचयनित अभ्यर्थी नई लिस्ट जल्द से जल्द जारी करने की मांग करने लगे। इसको लेकर पूरे प्रदेश के जिलों में प्रदर्शन होने लगा। कई अभ्यर्थी को लखनऊ तक पहुंच गए और धरने पर बैठ गए।
कुछ दिन बाद शिक्षक भर्ती के कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट लखनऊ के डबल बेंच से दिए गए फैसले का पालन किए जाने मांग करते हुए बेसिक शिक्षा निदेशालय के सामने ही धरना दे दिया। अभ्यर्थियों का कहना था कि हाईकोर्ट का जो फैसला आया है, सरकार उसे जल्द लागू कर आरक्षित वर्ग अभ्यर्थियों को न्याय देकर नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त करें। अभ्यर्थियों ने हाथ में पोस्टर लिया था। इसमें लिखा था कि आदेश हो गया जारी, अब किस बात की देरी। यही नारा भी लगाया जाता रहा।
कोर्ट के फैसले के बाद योगी सरकार ने बुलाई थी मीटिंग
69000 शिक्षक भर्ती को लेकर जैसे ही इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया, वैसे ही योग सरकार ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद योगी सरकार ने बैठक बुलाई थी। मीटिंग में सीएम योगी ने कहा था कि 69,000 शिक्षक भर्ती प्रकरण में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा आज माननीय न्यायालय के निर्णय के सभी तथ्यों से मुझे अवगत कराया गया है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के ऑब्जर्वेशन एवं माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ बेंच के निर्णय के आलोक में कार्यवाही करने के लिए विभाग को निर्देश दिए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार का स्पष्ट मत है कि संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण की सुविधा का लाभ आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को प्राप्त होना ही चाहिए और किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।
क्या था हाई कोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 69000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा-2019 की एक जून 2020 को जारी चयन सूची व 6800 अभ्यर्थियों की पांच जनवरी 2022 की चयन सूची को दरकिनार कर नए सिरे से चयन सूची बनाने के आदेश दिए थे। न्यायालय ने इस संबंध में 13 मार्च 2023 के एकल पीठ के आदेश को संशोधित करते हुए यह भी निर्णय दिया कि सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित मेरिट में आने पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को सामान्य श्रेणी में ही ‘माइग्रेट’ किया जाएगा।
हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी कहा था कि हमारे द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार दिए जाने वाले ऊर्ध्वाधर आरक्षण का लाभ, क्षैतिज आरक्षण को भी देना होगा। साथ ही कोर्ट ने इसी भर्ती परीक्षा के क्रम में आरक्षित वर्ग के अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 की चयन सूची को खारिज करने के एकल पीठ के निर्णय में कोई हस्तक्षेप न करते हुए तीन माह में नई सूची जारी करने की कार्रवाई पूरी करने का आदेश दिया था।
कोर्ट कहा था कि नई सूची तैयार करने के दौरान अगर वर्तमान में कार्यरत कोई अभ्यर्थी प्रभावित होता है तो उसे सत्र का लाभ दिया जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई पर असर न पड़े। यह निर्णय न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने महेंद्र पाल व अन्य समेत 90 विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया था। उक्त अपीलों में एकल पीठ के 13 मार्च 2023 के निर्णय को चुनौती दी गई थी जिसमें एकल पीठ ने 69000 अभ्यर्थियों की चयन सूची पर पुनर्विचार करने के साथ-साथ 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 की चयन सूची को खारिज कर दिया था।