भोपाल: मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सरकार के नवगठित मंत्रिमंडल का स्वरूप पूर्ववर्ती शिवराज सिंह की सरकार से अलग है। इस बार पार्टी ने नए-पुराने चेहरों का समावेश किया है। इसके चलते कई दिग्गज नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। मोहन कैबिनेट में 28 मंत्रियों को जगह दी गई है। इसमें 18 कैबिनेट मंत्री, 6 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और 4 राज्यमंत्रियों शपथ ली है। इस मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जैसा पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि कई दिग्गज नेताओं का पत्ता कट सकता है। ठीक वैसा ही हुआ है।
मध्य प्रदेश के सबसे सीनियर विधायक और वर्तमान विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर गोपाल भार्गव को भी इस बार निराशा हाथ लगी है। हालांकि जब उन्हें प्रोटेम स्पीकर का पद दिया गया था तभी से माना जा रहा था कि उनका मंत्रिमंडल में शामिल हो पाना मुश्किल नजर आ रहा है। ठीक वैसा ही हुआ है, आपको बता दें गोपाल भार्गव के समर्थकों ने उन्हें सीएम बनाने के लिए भी माहौल बनाया था।
मुख्यमंत्री मोहन के कैबिनेट विस्तार में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेहद करीबी माने जाने वाले भूपेंद्र सिंह को इस बार कैबिनेट में जगह नहीं मिली। बता दें वे शिवराज सरकार में कई बड़े मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। इसके बाद भी इस बार इन्हें निराशा हाथ लगी है। इसके अलावा शिवराज सरकार में वित्त मंत्री रहे जयंत मलैया भी अब विधायक बन कर रह गए हैं। लेकिन उन्हें मोहन कैबिनेट में जगह नहीं मिली है।
पूर्व विधानसभा स्पीकर गिरीश गौतम को लेकर अटकलें थी इस बार उन्हें राज्यमंत्री बना सकती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है, इसके साथ ही पूर्व प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा के हाथ एक बार फिर मायूसी लगी है। तो वहीं सांसद से विधायक बनी रीति पाठक का भी डिमोशन हो गया है। अब वे केवल विधायक बनकर ही रह गई हैं।
मोहन यादव सरकार में ये बने कैबिनेट मंत्री
- प्रद्युम्न सिंह तोमर: सिंधिया समर्थक तोमर 2020 में बीजेपी में शामिल हुए. कांग्रेस से सियासी पारी शुरू कर 2018 की कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे. 2020 में बीजेपी में शामिल होने पर शिवराज सरकार में मंत्री रहे. 2008 में पहली बार विधायक बने.
- तुलसी सिलावट: 2018 में कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे. 2020 में सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हुए और शिवराज सरकार में मंत्री बने. 6 बार विधायक बन चुके हैं. 1982 में पहली बार नगर निगम के पार्षद का चुनाव जीता था. 1985 में पहली बार विधायक बने थे.
- एदल सिंह कसाना: ऐंदल सिंह कंसाना सुमावली से विधायक बने हैं. 2020 में सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे और शिवराज सरकार में मंत्री बने. दिग्विजय सरकार में राज्य मंत्री थे. पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं.
- नारायण सिंह कुशवाहा: ग्वालियर दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से विधायक. चौथी बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते. बीजेपी का बड़ा ओबीसी चेहरा. 2003 में पहली बार विधायक बने थे.
- विजय शाह: हरसूद विधानसभा सीट पर विजय शाह का कब्जा है. यहां से सातवीं बार विधायक हैं. 33 सालों से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. 1990 के बाद से लगातार विजय शाह यहां से चुनाव जीत रहे हैं. अनुसूचित जाति से आते हैं विजय शाह.
- राकेश सिंह: चार बार के सांसद रहे हैं राकेश सिंह. इस बार जबलपुर पश्चिम से विधायक बने हैं. 2004 से 2023 तक सांसद रहे हैं.
- प्रह्लाद पटेल: नरसिंहपुर सीट से विधायक चुने गए हैं. 5 बार के सांसद रहे हैं. लोधी समुदाय के बड़े नेता हैं.
- कैलाश विजयवर्गीय: 1975 में एबीवीपी के जरिए राजनीति में प्रवेश किया. 1983 में इंदौर नगर निगम के पार्षद और भारतीय जनता युवा मोर्चा के राज्य सचिव बने. 2000 में इंदौर नगर निगम के पहले सीधे निर्वाचित मेयर बने. अब तक छह विधानसभा चुनाव जीते.
- करण सिंह वर्मा: इछावर विधानसभा क्षेत्र से 9 बार चुनाव लड़ चुके हैं करण सिंह वर्मा. आठ बार जीते, सिर्फ 2013 का चुनाव हारे. 2004, 2005 और 2008 में तीन बार मंत्री बनाया गया. इस बार उन्हें चौथी बार मंत्री बने हैं.
- संपतिया उईके: बीजेपी का बड़ा आदिवासी चेहरा. 2017 में राज्यसभा सांसद चुनी गईं. मंडला सीट से मौजूदा विधायक हैं. 3 बार जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी हैं.
- उदय प्रताप सिंह: इस बार नरसिंहपुर से विधायक चुने गए हैं. 2008-2009 के बीच विधायक भी रहे हैं. वह सिर्फ एक साल तक ही विधायक रहे थे. 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इन्हें होशंगाबाद सीट से टिकट दे दिया. पहली बार में ही उदय प्रताप सिंह चुनाव जीत गए. होशंगाबाद से यह तीसरी बार सांसद चुने गए.
- निर्मला भूरिया: पेटलावद विधानसभा सीट से पांचवी बार विधायक बनी हैं. शिवराज सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री बनाई गई थीं. राजनीति निर्मला भूरिया को विरासत में ही मिली. उनके पिता स्व दिलीप सिंह भूरिया कांग्रेस के दिग्गज नेता थे और 18 वर्षों तक सांसद रहे थे.
- विश्वास सारंग: 2008 में पहली बार नरेला विधासनभा क्षेत्र से जीते. 2013 में भी पार्टी ने उन पर भरोसा किया और चुनाव जीतने में सफल रहे. 2018 में विश्नास सारंग ने फिर से चुनाव में जीत हासिल की. इसके बाद उन्हें 2020 में शिवराज सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री बनाया गया. इस बार चौथी बार विधायक बनकर फिर से मंत्री बने हैं.
- गोविंद सिंह राजपूत: ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाने वाले गोविंद सिंह राजपूत सुरखी विधानसभा सीट से विधायक हैं. 2003 से 2023 तक वह 6 बार विधायक बने हैं. वह सिर्फ 2013 में चुनाव हारे हैं. वह लगातार तीसरी बार मंत्री बने हैं.
- इंदर सिंह परमार: अब तक तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं. 2013 में कालापीपल से पहली बार विधायक बने, 2018 में कालापीपल सीट छोड़कर शुजालपुर से दूसरी बार विधायक बने. 2023 में शुजालपुर सीट से निर्वाचित होकर तीसरी बार विधायक बने.
- नागर सिंह चौहान: आलीराजपुर से विधायक हैं और प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं. चौथी बार विधायक बने हैं नागर सिंह चौहान. 2003 में पहली बार विधायक बने इसके बाद 2008, 2013 और अब 2023 का चुनाव जीते.
- चैतन्य कश्यप: कैबिनेट के सबसे अमीर विधायक हैं चैतन्य कश्यप. रतलाम सीट से विधायक हैं. चुनाव आयोग में दी गई जानकारी के मुताबिक उनके पास वर्तमान में 294 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति है. तीसरी बार विधायक बने हैं. 2013 में पहली बार चुनाव लड़ा था.
- राकेश शुक्ला: भिंड जिले की मेहगांव विधानसभा से विधायक चुने गए हैं. तीसरी बार विधायक बने हैं. 1998 में पहली बार बीजेपी ने राकेश शुक्ला को टिकट दिया था. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के हरिसिंह नरवरिया को हराया था.
इन्हें बनाया गया राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
- कृष्णा गौर: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री (स्व) बाबूलाल गौर की पुत्रवधू कृष्णा गौर लगातार दूसरी बार विधायक चुनी गई हैं. उन्होंने भोपाल के गोविंदपुरा क्षेत्र से पहली बार चुनाव वर्ष-2018 में जीता था. उन्हें मंत्रिमंडल में बतौर राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शामिल किया गया है.
- धर्मेंद्र लोधी: जबेरा विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार लगातार विधायक चुने गए हैं. लोधी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपनी राजनीति शुरू की थी. 2018 में पहली बार जबेरा विधानसभा से उन्हें टिकट दिया गया था.
- दिलीप जायसवाल: 2008 में कोतना सीट से पहली बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने. हालांकि 2013 में बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया था. इस बार फिर से उन्हें टिकट दिया गया और वह चुनाव जीत गए.
- गौतम टेटवाल: सारंगपुर आरिक्षत सीट से दूसरी बार के विधायक हैं. अनूसचित जाति वर्ग से आने वाले गोतम टेटवाल 2008 में पहली बार विधायक चुने गए थे. इसके बाद उन्हें 2013 व 2018 में टिकट नहीं मिला था.
- लखन पटेल: पथरिया विधानसभा से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. 2013 में पहली बार पथरिया विधानसभा से उन्हें बीजेपी ने टिकट दिया था. वहीं 2018 के चुनाव में वह हार गए थे.
इन्हें बनाया गया राज्य मंत्री
- राधा सिंह
- प्रतिमा बागरी
- दिलीप अहिरवार
- नरेन्द्र शिवाजी पटेल