नई दिल्ली : अक्सर कहा जाता है कि कुछ लोग इतिहास रचते हैं, जबकि कुछ खुद इतिहास बन जाते हैं. समय के साथ उन्हीं लोगों की कहानियां बार-बार दोहराई जाती हैं. आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं, जो ठगी और धोखाधड़ी का दूसरा नाम बन चुका है.
हम बात कर रहे हैं नटवरलाल की. जिसका असली नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था, लेकिन कहा जाता है कि उसने ठगी और धोखाधड़ी के लिए 50 से ज्यादा फर्जी नाम अपना रखे थे. इन्हीं नकली पहचान के जरिए वह कई लोगों को चकमा देकर ठगी करता था. वह इतना चालाक था कि देश की सबसे कड़ी सुरक्षा वाली जेलों से भी 8 बार फरार होने में कामयाब रहा..
ठगी की शुरुआत सिर्फ 1,000 रुपये से की थी
मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, नटवरलाल फर्जी हस्ताक्षर करने में माहिर था. उसने ठगी की शुरुआत सिर्फ 1,000 रुपये से की थी जो उसने अपने पड़ोसी के नकली हस्ताक्षर कर बैंक से निकाल लिए थे. उसकी खासियत थी कि वह किसी के भी हस्ताक्षर को बस एक नजर देखकर हूबहू कॉपी कर सकता था. यही हुनर उसे धीरे-धीरे भारत का सबसे बड़ा ठग बना गया.
8 राज्यों की पुलिस उसकी तलाश में थी
नटवरलाल की ठगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने नकली चेक और डिमांड ड्राफ्ट के जरिए कई दुकानदारों से लाखों रुपये ठग लिए. 70, 80 और 90 के दशक में उसका नाम पूरे देश में कुख्यात हो गया था. इस शातिर ठग के खिलाफ 100 से ज्यादा ठगी के मामले दर्ज थे और देश के 8 राज्यों की पुलिस उसकी तलाश में थी. वह कई बार पकड़ा गया और जेल की सजा भी हुई, लेकिन भारत की कोई भी जेल उसे ज्यादा दिनों तक रोक नहीं पाई. वह हर बार पुलिस को चकमा देकर फरार होने में कामयाब रहा.
कहा जाता है कि तीन बार ताजमहल, दो बार लाल किला, एक बार राष्ट्रपति भवन बेच चुके हैं
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, कहा जाता है कि नटवरलाल तीन बार ताजमहल, दो बार लाल किला, एक बार राष्ट्रपति भवन और यहां तक कि संसद भवन तक बेच दिया था. वह खुद को बड़ा सरकारी अधिकारी बताकर विदेशी कारोबारियों को इन ऐतिहासिक इमारतों के नकली कागजात तैयार कर बेच देता था. उसकी ठगी की कहानियां किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं लगतीं.
‘मैं भारत का सारा विदेशी कर्ज चुका सकता हूं’ नटवरलाल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कहा जाता है कि एक बार नटवरलाल के गांव के पास राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद आए थे. नटवरलाल को उनसे मिलने का मौका मिला और उसने वहीं अपने हुनर का प्रदर्शन किया. उसने राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हूबहू कॉपी कर दिए, जिससे वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए. नटवरलाल ने मजाक में राष्ट्रपति से कहा, “अगर आप कहें, तो मैं भारत का सारा विदेशी कर्ज चुका सकता हूं और उल्टा विदेशियों को भारत का कर्जदार बना सकता हूं!” उसकी बात सुनकर लोग दंग रह गए.