नई दिल्ली: तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि ने एक बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता यानी सेक्युलरिज्म एक यूरोपीय कॉन्सेप्ट है, जो चर्च और राजा के बीच संघर्ष के बाद विकसित हुई जबकि भारत एक धर्म-केंद्रित राष्ट्र है और इसलिए यह संविधान का हिस्सा नहीं था. बाद में इसे आपातकाल के दौरान ‘एक असुरक्षित प्रधानमंत्री’ द्वारा जोड़ा गया था.
धर्मनिरपेक्षता पर क्या बोले
उन्होंने रविवार को कन्याकुमारी जिले में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश के लोगों के साथ बहुत धोखाधड़ी की गई है और उनमें से एक धर्मनिरपेक्षता की गलत व्याख्या है. उन्होंने कहा, ‘धर्मनिरपेक्षता से क्या आशय है. धर्मनिरपेक्षता एक यूरोपीय अवधारणा है. धर्मनिरपेक्षता भारतीय अवधारणा नहीं है.’
राज्यपाल ने आरोप लगाया कि दशकों बाद आपातकाल (1975-77) के दौरान, ‘एक असुरक्षित प्रधानमंत्री’ ने लोगों के कुछ वर्गों को खुश करने के लिए संविधान में धर्मनिरपेक्षता का प्रावधान किया. आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं.
उन्होंने आगे कहा कि यूरोप में धर्मनिरपेक्षता का उदय तब हुआ, जब चर्च और राजा के बीच लड़ाई हुई और लंबे समय तक चले इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए इस अवधारणा का विकास किया गया. संविधान सभा की चर्चा का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वहां इस बात पर विचार-विमर्श किया गया था कि भारत धर्म का देश है. उन्होंने कहा, ‘धर्म से टकराव कैसे हो सकता है? भारत धर्म से दूर कैसे हो सकता है? ऐसा हो ही नहीं सकता!’