आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की दिशा में भारत ने एक बड़ी छलांग लगाने जा रहा है. गुजरात के वडोदरा में टाटा और एयरबस मिलकर सी 295 ट्रांसपोर्ट विमान तैयार करेंगी इसके लिए इसी महीने के आखिर में यूनिट के निर्माण की शुरुआत होगी. ये विमान भारतीय वायु सेना का हिस्सा बनेंगे. ये जानकारी आज डिफेंस सेक्रेटरी अजय कुमार ने दी. प्रधानमंत्री 30 अक्टूबर को वडोदरा में इस मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का आधारशिला रखने जा रहें हैं. डिफेंस सेक्रेटरी के मुताबिक प्लांट में सिर्फ सी 295 का ही निर्माण नहीं होगा. यहां वायुसेना की जरूरतों के हिसाब से भविष्य के नए विमानों का भी निर्माण किया जाएगा. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 30 अक्टूबर को गुजरात के वडोदरा में C-295 परिवहन विमान tata advanced द्वारा Airbus के सहयोग से निर्मित c 295 निर्माण संयंत्र की आधारशिला रखेंगे. बता दें कि 56, C-295 पुराने हो चुके एयरक्राफ्ट की जगह लेंगे
यूरोप के बाहर पहली बार होगा इन विमानों का निर्माण
ये कदम कितना अहम है इसका पता इस बात से ही चलता है कि ये पहली बार होगा जब यूरोप से बाहर इन विमानों का निर्माण किया जाएगा. डिफेंस सेक्रेटरी ने ये जानकारी दी है. इस विमान का निर्माण एयरबस और टाटा एडवांस्ड सिस्टम मिलकर करेंगे. सितंबर 2021 में ही भारत ने एयरबस के साथ 56 सी 295 ट्रांसपोर्ट विमानों के लिए एक डील की थी, ये पूरी डील 21 हजार करोड़ रुपये की थी. सरकार नए विमानों को पुराने हो रहे एवरो 748 विमानों से बदलने की योजना पर काम कर रही है. इस प्रोजेक्ट के साथ ये पहली बार होगा जब भारत में निजी कंपनियां मिलकर विमान का निर्माण करेंगी.
समझौते के अनुसार एयरबस पहले 16 विमानों को तैयार स्थिति में स्पेन की असेंबली लाइन से भारत भेजेगी. ये 16 विमान अगले 4 साल में चरणों में मिलेंगे. बाकी 40 विमानों का निर्माण टाटा एडवांस्ड सिस्टम एयरबस के सहयोग से करेगी. डीजीसीए ने इस पूरे प्रोजेक्ट को पिछले हफ्ते ही मंजूरी दी है.
क्या है विमान की खासियत
सी-295 सैन्य और राहत कामों के लिए भरोसेमंद विमान माना जाता है. ये एक बार में 71 सैनिकों या फिर उपकरणों के साथ 50 पैराट्रूपर्स को ले जा सकता है. इसके साथ ही इस विमान की मदद से देश के उन इलाकों में भी रसद पहुंचाई जा सकती है जहां भारी विमान नहीं उतर सकते.विमान न केवल युद्ध स्थिति में तेजी से सैनिकों को पहुंचा सकता है. साथ ही राहत और बचाव और घायलों को निकालने जैसे कई ऑपरेशन बेहद आसानी से पूरे कर सकता है. एयरबस के मुताबिक उसके पास अब तक इन विमानों के 285 ऑर्डर हैं जिसमें से वो 203 डिलीवर कर चुकी है. कंपनी के मुताबिक विमान से हमलावर क्लोज एयर सपोर्ट, समुद्री गश्त, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, अर्ली वार्निंग सिस्टम, एयर टू एयर रीफ्यूलिंग, वीआईपी ट्रांसपोर्टेशन, बचाव और राहत जैसे कई काम अंजाम दिए जा सकते हैं.