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मध्यप्रदेश निकाय चुनाव परिणामों से गुजरात में बढ़ी BJP की टेंशन, इन दो दलों की ढूंढ रही काट

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
23/07/22
in राज्य, समाचार
मध्यप्रदेश निकाय चुनाव परिणामों से गुजरात में बढ़ी BJP की टेंशन, इन दो दलों की ढूंढ रही काट

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मध्यप्रदेश जैसे भाजपा के मॉडल स्टेट में आम आदमी पार्टी और ओवैसी की पार्टी की एंट्री ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, पार्टी की यह परेशानी गुजरात चुनाव को लेकर है। क्योंकि गुजरात में भाजपा को अब कांग्रेस के साथ इन दोनों दलों से चुनौती मिलेगी। प्रदेश के निकाय चुनाव में पहले ही आप और ओवैसी की पार्टी खाता खोल चुकी है। अब साल के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर भी दोनों दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।

गुजरात में पिछले साल नगर निगम चुनाव हुए थे। इन चुनावों में आम आदमी पार्टी और ओवैसी की पार्टी मैदान में उतरी थी। भाजपा ने चुनावों में विकास के नाम पर वोट मांगे थे और पार्टी ने जबरदस्त तरीके से जीत हासिल की थी। लेकिन इसी बीच आप और एआईएमआईएम ने इन चुनावों के जरिए गुजरात में एंट्री कर ली थी। इस तरह राज्य में भाजपा के लिए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के अलावा अब ये प्रमुख दो दल नई चुनौती बनकर उभर रहे हैं।

पीएम मोदी के गृहनगर सीट पर भाजपा का कब्जा
गुजरात में पिछले साल हुए नगरीय निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी ने सूरत नगर निगम की 27 सीटों पर कब्जा जमाया था। इसके बाद पार्टी ने तालुका और जिला पंचायत चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन किया। आप ने मेहसाणा जिले में और प्रधानमंत्री मोदी के गृहनगर वडनगर तालुका में भी पंचायत सीटें जीतकर भाजपा को चौंका दिया था। अमरेली जिले में भी आप की एंट्री भाजपा के लिए चौंकाने वाली थी। क्योंकि धारी तालुका पंचायत की भांडेर सीट आप के उम्मीदवार ने जीती थी। यह सीट भाजपा की सबसे सुरक्षित सीटों में मानी जाती है। इसके अलावा आप ने कच्छ के गांधीधाम तालुका पंचायत, जूनागढ़ तालुका पंचायत की जामका सीट जेसोर तालुका पंचायत में दो सीटें और बनासकांठा के दिसाना के वार्ड नंबर तीन में भी एक सीट पर जीत हासिल की है।

हर मुद्दे पर कांग्रेस से ज्यादा हमलावर हैं ये दोनों दल
इधर, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के प्रदर्शन की बात करें, तो पार्टी ने अहमदाबाद जैसी अहम नगर पालिका में कुल 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था। हालांकि पार्टी को जमालपुर और मक्तमपुरा वार्ड की सात सीटें ही मिल पाई थीं। इसके अलावा मोडासा और गोधरा नगर पालिकाओं में कुल 20 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया था। इनमें से 16 सीटों पर जीत हासिल की थी।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि गुजरात के स्थानीय निकाय चुनावों में प्रवेश के बाद केजरीवाल और ओवैसी की पार्टी का मनोबल बढ़ा है। भले ही उन्होंने बहुत कम सीटें जीती हों। लेकिन यह साफ कर दिया है कि भाजपा के गढ़ गुजरात में भी भाजपा को चुनौती दी जा सकती है। इसलिए दोनों ही दल गुजरात में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वहीं, आप पार्टी गुजरात सरकार को हरेक छोटे से छोटे मुद्दे पर भी घेरते हुए नजर आ रही है।

आंतरिक सर्वे में बढ़त से आप उत्साहित
आम आदमी पार्टी से जुड़े सूत्रों ने अमर उजाला से कहा कि गुजरात विधानसभा चुनाव को देखते हुए आम आदमी पार्टी सक्रिय हो चुकी है। पंजाब में बहुमत के साथ सत्ता हासिल करने के बाद अब आम आदमी पार्टी अपना विस्तार हिमाचल प्रदेश और गुजरात तक करना चाहती है। इसी का नतीजा है कि अरविंद केजरीवाल इन दिनों गुजरात को लेकर कुछ ज्यादा ही गंभीर नजर आ रहे हैं। वे लगातार गुजरात के दौरे भी कर रहे हैं। गुजरात में पिछले 27 सालों से सत्ता पर भाजपा काबिज है। ऐसे में सत्ता विरोधी लहर और कांग्रेस के संगठन में आई दरार का पूरा फायदा उठाने के लिए आप तैयारी कर रही है। हालांकि आम आदमी पार्टी के सूत्र यह भी मानते हैं कि अभी गुजरात का पार्टी संगठन इतना मजबूत नहीं है कि वह भाजपा को चुनौती दे सके। हालांकि इतना जरूर है कि आप गुजरात में वोट कटवा जरूर बन सकती है जो कांग्रेस के लिए ज्यादा नुकसानदायक होगा।

पार्टी के प्रदेश प्रभारी डॉ. संदीप पाठक के आंतरिक सर्वे में आम आदमी पार्टी को 58 सीटें मिलने का दावा किया गया है। हालांकि इसमें पार्टी की तरफ से चुनाव के नजदीक और भी ज्यादा फायदा मिलने की बात कही जा रही है। गुजरात में आम आदमी पार्टी ने इसके लिए अपने संगठन में भी कई बदलाव किए हैं। पार्टी ने अपने संगठन के 107 पदों में से 33 पदों पर सूरत को प्राथमिकता दी है। इसकी वजह भी साफ है क्योंकि सूरत के स्थानीय निकाय में आम आदमी पार्टी ने बढ़िया प्रदर्शन किया था। आम आदमी पार्टी पंजाब में भी एक बार में ही नहीं सत्ता हासिल कर पाई। आप को 2017 में पंजाब में उसे मुख्य विपक्षी दल का दर्जा मिल चुका था। इसलिए इस बार कोशिश है गुजरात में उसे सत्ता भले ही ना मिले लेकर कांग्रेस की जगह उसे मुख्य विपक्षी दल का दर्जा जरूर मिल जाए।

ओवैसी भी गुजरात चुनाव की तैयारियों में जुटे
इधर, गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम सक्रिय हो चुकी है। असदुद्दीन ओवैसी ने गुजरात विधानसभा चुनाव में उतरने का एलान कर दिया है। पार्टी गुजरात के मुस्लिम बहुल सीटों पर प्रत्याशी खड़ा करने की तैयारी में है। हालांकि अभी सीटों की संख्या का निर्धारण नहीं हुआ है। ओवैसी ने अहमदाबाद और सूरत में नगर निगम चुनाव में सबसे पहले अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। हालांकि इसमें ज्यादा सफलता नहीं हाथ लगी। ओवैसी की पार्टी ने बिहार, बंगाल, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ा था।

उत्तर प्रदेश में ओवैसी की पार्टी को कोई कामयाबी नहीं मिली लेकिन अब उन्हें गुजरात से काफी उम्मीदें हैं। गुजरात की मुस्लिम बहुल सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी का मुख्य फोकस है। गुजरात में कुल आबादी का 10 फीसदी मुस्लिम हैं। वहीं 21 ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जिन पर मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 20 फीसदी से ज्यादा हैं। राज्य में कुल 35 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर मुस्लिम आबादी का प्रतिशत 15 फीसदी के करीब है। गुजरात में कच्छ, भुज, सूरत, अहमदाबाद, भरूच, बागरा जैसे क्षेत्र में बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी रहती है। इन विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक माना जाता है।

मध्यप्रदेश निकाय चुनावों में दोनों दलों की धमाकेदार एंट्री
मध्यप्रदेश के सिंगरौली महापौर पद पर अपना कब्जा जमाने के साथ आम आदमी पार्टी ने प्रदेश के 17 पार्षद पदों पर भी अपना कब्जा किया है। इसमें पांच प्रत्याशी सिंगरौली नगर निगम से चुनाव जीते हैं। वहीं, इन चुनावों में एआईएमआईएम ने भी अपनी जोरदार दस्तक दी है। पार्टी ने जबलपुर, खंडवा और बुरहानपुर में चार पार्षद पदों पर जीत दर्ज की है। वहीं खंडवा और बुरहानपुर में एआईएमआईएम के महापौर उम्मीदवारों को दस हजार से अधिक वोटर मिलना पार्टी की लोकप्रियता साबित करते हैं।

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