लखनऊ: यूपी सरकार के निर्देश पर प्रदेश के अवैध मदरसों की जांच कर रही एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. यूपी में अवैध मदरसों पर जांच की आंच आ गई है. यूपी एसआईटी लंबे समय से इनकी जांच कर रही थी. अब जाकर SIT ने यूपी सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इसी जांच में कुल 23 हजार मदरसों मेें से 5 हजार के पास अस्थायी मान्यता का पता चला है. जिनमें से कई बीते 25 सालों में मान्यता के मानक पूरे नहीं कर सके हैं
पुलिस के इन अहम दस्तावेजों में करीब 13 हजार अवैध मदरसों को बंद करने की सिफारिश की गई है. इनमें से अधिकतर अवैध मदरसे नेपाल सीमा पर मौजूद हैं. इन सभी मदरसों संचालकों की गतिविधियां संदिग्ध थी. अधिकांश मदरसे कानूनी तौर पर तीन प्रमुख आरोपों के घेर में थे.
अवैध मदरसों पर संगीन आरोप
यूपी एसआईटी ने अपनी जांच में पाया कि इन अवैध मदरसों में धर्मांतरण (Conversion) की गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा था. अधिकांश मदरसों की फंडिग विदेशों से हो रही थी. इन मदरसों का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए भी किया जा रहा था. विदेशों से फंड यानी पैसा पाने वाले अपने आकाओं के इशारों पर नाचते थे. रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि सोची-समझी साजिश के तहत टेरर फंडिंग के लिए जुटाई गई. इस रकम को हवाला के जरिये मदरसों के निर्माण के लिए भेजा गया.
सीमावर्ती जिलों में 500-500 अवैध मदरसे
यूपी एसआईटी की रिपोर्ट में कुल 13000 मदरसों का जिक्र है. अधिकांश मदरसों का निर्माण खाड़ी देशों से मिली रकम से बीते 20 सालों में हुआ है. अवैध मदरसे बनाने का हॉट स्पॉट यूपी के सीमावर्ती जिले हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर फरार होने में आसानी हो. इस अवैध मदरसों से देश विरोधी गतिविधियां चलाई जा रही थीं.
80 मदरसों को विदेशों से 100 करोड़
सबसे ज्यादा अवैध मदरसे महराजगंज, श्रावस्ती, बहराइच समेत 7 जिलों में मौजूद हैं. यानी हर सीमावर्ती जिले में अवैध मदरसों की संख्या 500 से ज्यादा है. इन सभी मदरसों को चलाने वाले अपने खर्च और कमाई का सही हिसाब नहीं दे सके. टेरर फंडिंग के लिए जुटाई रकम हवाला के जरिये भेजी गई. अपने दानदाताओं के नाम तक इन अवैध मदरसों को चलाने वाले नहीं बता पाए. 80 मदरसों को विदेशों से 100 करोड़ की फंडिंग होने के सबूत यूपी एसआईटी को मिले हैं.
यूपी में मदरसों पर बड़ी खबर
उत्तर प्रदेश में 25 हजार मदरसा संचालित हो रहे हैं. जिसमें 16500 से अधिक मदरसा यूपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं. एसआईटी ने जांच के दौरान सबसे पहले मदरसा चलाने वाले व्यक्तियों, समाज और गैर सरकारी संगठनों की पहचान की गई. इन सभी के बैंक खातों की जानकारी एसआईटी ने जुटाई. SIT के मुताबिक, यूपी के 80 मदरसा के बैंक खातों में विदेश से पैसा भेजा गया. ये मदरसे बहराइच, सिद्धार्थ नगर, सहारनपुर, आजमगढ़ और रामपुर जिले में चल रहे हैं. पैसा विदेश के कई जगहों से भेजा गया था. अन्य मदरसों के फंडिंग सोर्स की जांच भी पूरी हो चुकी है.
सुर्खियों में रहे ये मामले
मदरसों के विदेशी फंडिंग की सोर्स की जांच के लिए गठित एसआईटी का नेतृत्व एक अतिरिक्त महानिदेशक रैंक के अधिकारी ने किया. इन मदरसों से अवैध धर्मांतरण की गतिविधियों को खूब बढ़ावा दिया गया. 8 जुलाई 2023 को गाजियाबाद पुलिस ने ऐसे ही एक मामले में 3 लोगों को गिरफ्तार किया. इनमे से 2 पहले हिंदू थे और बाद में मुसलमान बन गए. इन्होंने एक और शख्स की मदद से अब तक 7 युवक-युवतियों का धर्मांतरण कराया था.
पकड़े गए आरोपियों में देवबंद मदरसे के छात्र, कोचिंग संस्थान संचालक और एक प्राइवेट कंपनी के कर्मचारी शामिल था. ये गैंग प्रतिबंधित जाकिर नाइक का वीडियो देखता था. इसी तरह कुछ मामलों में हिंदू लड़कों को मुस्लिम रिवाज पूरा कराके इस्लाम में कनवर्ट किया गया. बच्चे की पहचान छीन ली गयी थी.
अक्टूबर 2023 में सहारनपुर का केस
यूपी के सहारनपुर में किशोर का धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में मतलूब नाम के आरोपी को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में ग्राम प्रधान समेत चार के खिलाफ पीड़ित के पिता ने धर्म परिवर्तन कराकर उसके बेटे को गुपचुप तरीके से रखने का केस कराया था. मुजफ्फरनगर और सहारनपुर की चाइल्ड वेलफेयर टीम, डीसीपीओ, एसओ चरथावल, बीएसए, अल्पसंख्यक अधिकारी और आधार फेसिलेशन सेंटर के तकनीकी कर्मचारी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम के सामने पेश हुए थे. यह बच्चा 7 साल चंडीगढ़ के रायपुर से लापता हो गया था. केस वहीं दर्ज हुआ था. आरोपी मतलूब को चंडीगढ़ से लापता बच्चा सात साल पहले सहारनपुर में मिला था. इसके बाद वो उसे अपने साथ गांव ले आया. उसकी सुन्नत कराई और मुस्लिम नाम रखकर उसे मदरसे में एडमिशन दिलाया.
गिरफ्त में आया आरोपी मतलूब अपहृत किशोर का आधार कार्ड बनवाने ले गया, तब जांच में पता चला कि उसका आधार कार्ड पहले से हिंदू नाम से बन चुका था. हिंदू संगठनों को यह मालूम हुआ तो बवाल मच गया और मामला सुर्खियों में आ गया. ऐसे न जाने कितने मामले यूपी में सामने आ चुके हैं. जिनमें यूपी एसआईटी के तमाम आरोपों की पुष्टि हुई है.