पहलगाम : जहांगीर ने फारसी में कहा था, ‘गर फिरदौस बर रुए ज़मीं अस्त, हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्त’ अर्थात अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं पर है और सिर्फ यहीं पर है लेकिन यह कहावत आज उल्टी साबित हो रही है और धरती के स्वर्ग जम्मू कश्मीर के पहलगाम में धर्म पूछ कर 27 पर्यटकों की निर्मम हत्या जो आतंकवादियों के द्वारा की गई उसकी पूरा विश्व निंदा कर रहा है। जिन परिवारों ने अपने परिवारजनों को खोया है वह परिवार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आस लगाकर बैठे है कि केंद्र सरकार इन निर्मम हत्याओं का बदला जरूर लेगी।
जब देश 1947 में आजाद हुआ और धर्म के आधार पर एक नए देश का निर्माण हुआ जिसको हम पाकिस्तान के नाम से जानते हैं लेकिन राजनीतिक मजबूरियों और हालातो के चलते यह बंट वारा सही तरीके से लागू नहीं हो पाया जिसकी कीमत आज हम भारतीयों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। भारत के संविधान में सभी धर्म को समान रूप से मानने और अपनाने की छूट है लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान के कारण जम्मू कश्मीर में आमजन जीवन पिछले 75 वर्षों से असामान्य है।
केंद्र सरकार और राज्य सरकार प्रदेश में स्थिति सामान्य बनाने हेतु विभिन्न प्रयास कर रही है और उनके द्वारा विभिन्न प्रभावशाली कदम भी उठाए जा रहे हैं लेकिन समय-समय पर पड़ोसी देश अपने मंसूबों को उजागर कर देता है और आतंकवादियों को ढाल बना कर और मदद देकर भारतवर्ष के अंदर आतंकवाद की घटनाओं को बढ़ावा देता है। हम पहले भी देख चुके हैं इस तरह की घटनाएं हुई है जिसमे कारगिल घुसपैठ, संसद भवन पर हमला या होटल ताज मुंबई पर अटैक शामिल है।
एनडीए के शासनकाल के दौरान उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने जम्मू कश्मीर में शांति व्यवस्था बनाए रखने हेतु कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत का नारा दिया। जिसको पूरे विश्व ने सराहा,इसके लिए वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के यहां भी गए और उन्होंने भरसक प्रयास किया कि कश्मीर में शांति व्यवस्था बनी रहे जिससे कश्मीर की आवाम का विकास हो सके और यहां रोजगार के नए साधन उपलब्ध कराए जा सके लेकिन पड़ोसी देश के द्वारा इन सभी प्रयासों की अवहेलना की गई और समय-समय पर आतंक वादियों को मदद देकर भारत की अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से नेस्तनाबूत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। पहलगाम में अमरनाथ यात्रा को शुरू होने से पहले पर्यटकों की धर्म पूछ कर निर्मम हत्या कर देना एक नई लड़ाई को आमंत्रण माना जाना चाहिए।
यह आतंकवाद का एक नया रूप है कि पुरुषों की हत्या कर दी गई और महिलाओं को कहां गया कि तुम जाओ और मोदी से जाकर कह देना। अब सवाल उठता है कि वह देश के प्रधानमंत्री से क्या कहना चाहते है या वह खुली चुनौती दे रहे है कि हमने आपके घर में घुसकर पर्यटकों की निर्मम हत्या कर दी है और आगे भी करते रहेंगे।
एक तरफ कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है और उस स्वर्ग पर इस तरह से धर्म के आधार पर पर्यटकों की निर्मम हत्या कर देना, क्या यही कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत है कि आप किसी भी धर्म के आदमी की निर्मम हत्या कर दो। हमने देखा कि इसमें एक नव विवाहित जोड़ा भी था जिसमें उसके पति की हत्या कर दी गई और उसकी शादी को अभी लगभग 10 से 15 दिन ही हुए थे।
उस महिला पर क्या गुजर रही होगी जिसकी अभी हाथों की मेहंदी का रंग भी नहीं उतरा और उसके पति की उग्रवादियों के द्वारा उसके सामने निर्मम हत्या कर दी गई। यह भारत की सरकार को खुली चुनौती है कि हम ऐसे ही घटनाएं रोज करते रहेंगे और देश के वीर सिपाही, सैनिक देश की सीमाओं की रक्षा करने हेतु अपने प्राणों का बलिदान देते रहेंगे। अब समय आ गया है कि भारत सरकार इन आतंकवादियों को सबक सिखाने हेतु ठोस कदम उठाए और यथाशीघ्र उसको जमीनी स्तर पर उतारे जिससे भारतीय नागरिकों की जान को बचाया जा सके और विश्व को संदेश दिया जा सके कि हम अपने हितों की रक्षा करने में सक्षम है।