भोपाल l प्रदेश में हर दिन 28 नाबालिग बच्चे लापता होते हैं उनमें 22 लड़कियां शामिल हैं। सीआईडी की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है। 1 जनवरी 2019 से 31 अक्टूबर 2020 तक के आंकड़े देखें तो प्रदेश से 18 हजार 628 नाबालिग गुमशुदा हुए हैं। इनमें 14730 लड़कियां है। यानी लापता हुए बच्चों में 80 फीसदी लड़कियों की संख्या होती है।
प्रदेश में लाड़लियों के गुमशुदा होने की स्थिति बेहद चिंताजनक है यानी बचपन को नजर लगी हुई है। सीआइडी गुमशुदा बच्चों को खोजने के लिए खोया-पाया विशेष अभियान चलाती है जिसमें पिछले सालों में लापता हुए कई बच्चे पड़ोसी राज्यों में मिल जाते हैं लेकिन उनके गुम होने का सिलसिला नहीं थम रहा है।
मानव तस्करी की आशंका
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इन अपहरण के मामलों में मानव तस्करी की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। जो बच्चे लापता होते हैं वे ग्रामीण क्षेत्र के होते हैं। प्रदेश में आदिवासी क्षेत्रों जैसे झाबुआ, मंडला, अनूपपुर, उमरिया, धार, बालाघाट जैसे सीमावर्ती जिलों में गुमशुदगी के प्रकरण ज्यादा दर्ज होते हैं। लापता बच्चे गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, बंगाल जैसे राज्यों में ज्यादा पाए जाते हैं। कई लड़के-लड़कियां आपस में शादी भी कर लेते हैं।
कोरोना से घर वापसी
प्रदेश में इस साल पुराने लापता बच्चे भी घर लौटे। इस साल 1 जनवरी 2020 से लेकर 31 अक्टूबर 2020 तक 10 महीनों में 7684 नाबालिग बच्चे गुम हुए। इनमें से 6099 लड़कियां और 1284 लड़के शामिल थे। यानी करीब 83 फीसदी 18 साल से उम्र की बच्चियां इन दस महीनों में गायब हुईं। इस हिसाब से रोजाना 20 बच्चियां प्रदेश से लापता हो रही हैं। इस साल मजदूरों की वापसी और पुलिस की तलाश में 8134 गुमशुदा बच्चे बरामद हुए। इनमें 6741 लड़कियां और 1393 लड़के शामिल थे।
2019 में 96 फीसदी बच्चे किए बरामद
पिछले साल 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2019 तक एक साल में कुल 11244 नाबालिग बच्चे लापता हुए। इनमें 8631 लड़कियां और 2613 लड़के शामिल थे। यानी करीब 77 फीसदी नाबालिग बच्चियां इस साल गायब हुईं। इस हिसाब से 24 बच्चियां रोजाना गुमशुदा हुईं। इस साल पुलिस के खोया-पाया अभियान से 10868 बच्चे बरामद हुए, जिनमें 8310 लड़कियां और 2558 लड़के शामिल हैं। बच्चों की बरामदी करीब 96 फीसदी रही।
पुलिस कर रही है कोशिश
एडीजी सीआइडी कैलाश मकवाणा की माने तो पुलिस लगातार कोशिश कर रहे हैं कि प्रदेश में नाबालिग बच्चों की गुमशुदगी पर रोक लगाई जा सके। हमारा खोया-पाया अभियान चलता है, जिसमें हम गुम हुए बच्चों को दस्तयाब करते हैं। विशेष अभियान चलाकर हमने हजारों बच्चों को खोज निकाला है। इस तरह के मामलों में हम तत्काल और सघन कार्रवाई करते हैं।