नई दिल्ली। महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले से गुरुवार को एक दर्दनाक खबर सामने आई है। 2020 में महाराष्ट्र सरकार का ‘युवा शेतकरी’ पुरस्कार पाने वाले एक किसान ने होली के दिन खुद की जान ले ली। जानकारी के मुताबिक कैलाश नागरे इलाके में सिंचाई की समस्या से बेहद परेशान थे और इसके लिए कई सालों से सरकार से गुहार लगा रहे थे। अंधेरा पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया है कि 42 साल के कैलाश नागरे ने गुरुवार सुबह शिवनी आरमाल में अपने खेत में जहर खा लिया। कैलाश नागरे के पास से एक तीन पन्नों का सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है जिसमें उन्होंने अपना दर्द बयां किया है।
एक पुलिस अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा, “चार पन्नों के सुसाइड नोट में फसल उत्पादन में कमी और सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति की कमी की बात कही गई है। वह चाहते थे कि सरकार खेतों में पानी की आपूर्ति की कमी का समाधान निकाले। उनके सुसाइड नोट में उनके इस कदम के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है।” अधिकारी ने बताया है कि मामले की जांच की जा रही है।
पिछले साल किया था भूख हड़ताल
खबरों के मुताबिक नागरे कई सालों से खड़कपुर जलाशय से 14 गांवों के लिए सिंचाई के पानी की मांग कर रहे थे। पिछले साल उन्होंने अपनी मांगों को लेकर 10 दिनों की भूख हड़ताल भी की थी। हालांकि अब वह सरकार की निष्क्रियता से हताश हो गए थे। नागरे की जेब से मिले सुसाइड नोट में लिखा था, “प्रशासन किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रहा है। जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक मेरी लाश ना हटाई जाए।”
हजारों किसानों ने किया प्रदर्शन
बता दें कि नागरे इस क्षेत्र के जाने-माने किसान नेता थे। उनकी मौत के बाद गांव में अफरा तफरी मच गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया है कि हजारों किसानों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की है। प्रदर्शनकारियों ने घोषणा की है कि जब तक मंत्री या जिला कलेक्टर मौके पर नहीं आते और ठोस आश्वासन नहीं देते वे शव को पोस्टमार्टम के लिए नहीं ले जाने देंगे। वहीं नागरे की पत्नी ने कहा है कि इसके लिए सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, “मेरे पति ने सरकार की लापरवाही की वजह से यह कदम उठाया। उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन प्रशासन ने कुछ नहीं किया। अगर प्रशासन ने समय रहते कार्रवाई की होती, तो वे आज भी जिंदा होते।”
सरकार पर भड़का विपक्ष
इस बीच किसान की मौत पर सियायत भी तेज हो गई। महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने सत्तारूढ़ महायुति सरकार और सीएम देवेंद्र फडणवीस पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा, “यह सरकार किसानों के वास्तविक मुद्दों को नजरअंदाज कर हिंदू-मुस्लिम की राजनीति करने में व्यस्त है। नागरे किसानों के अधिकारों के लिए लड़ रहे थे, लेकिन उनकी चिंताओं को दूर करने के बजाय सरकार ने उन्हें आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया।”