नई दिल्लीः वनडे विश्व कप ज्यादा दूर नहीं है. बस 7 महीनों का इंतजार है और कई बड़ी टीमें भारत में आकर फिर से खिताब के लिए दावेदारी ठोकेंगी. इस वर्ल्ड कप से 12 साल पहले भी भारत में ही टूर्नामेंट हुआ था और तब टीम इंडिया ने अपने खिताब का सूखा खत्म किया था. ऐसे में इस बार रोहित शर्मा की कप्तानी वाली टीम पर भी उस सफलता को दोहराने का दारोमदार होगा. वर्ल्ड कप से ये 7 महीने पहले हालांकि, टीम इंडिया की तैयारी बहुत उम्मीद जगाने वाली नहीं लग रही है. कम से कम मुंबई और विशाखापट्टनम में जो नजारे दिखे हैं, वो तो किसी भी तरह के सपने देखने की इजाजत नहीं देते.
दो महीने पहले श्रीलंका और न्यूजीलैंड को लगातार दो वनडे सीरीज में विस्फोटक बैटिंग के दम पर धोने वाली भारतीय टीम अब ऑस्ट्रेलिया के सामने बेबस नजर आ रही है. मुंबई में हुआ पहला वनडे मैच उसने जीता जरूर था लेकिन जिस तरह भारतीय बल्लेबाजों का शुरू में हाल हुआ, उसने जीत की खुशी देने के बजाए, आगे की टेंशन दे दी.
स्टार्क ने किया तहस-नहस
वानखेडे स्टेडियम में मिली टेंशन अब विशाखापट्टनम में और बढ़ गई है. रविवार 19 मार्च को सीरीज के दूसरे मैच में टीम इंडिया सिर्फ 117 रन पर निपट गई. टीम इंडिया की इस हालत के जिम्मेदार रहे बाएं हाथ के पेसर मिचेल स्टार्क (5/53), जिन्होंने मुंबई में खेल किया था. उनके अलावा शॉन एबट और नाथन एलिस जैसे कम अनुभवी पेसरों ने भी भारत को मुश्किल में डाला.
जरा गेंद हिली, कांपने लगे बल्लेबाज
ये सब तो आंकड़ों की बाते हैं लेकिन इन्हीं आकंड़ों के पीछे असली कहानी है. वो कहानी, जो पिछले कुछ सालों से लगातार जारी है. कम से कम पिछले 4 सालों में ये परेशानी दूर नहीं हुई है और ये है स्विंग होती परिस्थितियों में नाकाम होती बल्लेबाजी. वैसे तो तेज गेंदबाजों की मददगार परिस्थितियों में किसी भी बल्लेबाज को मुश्किल होती है लेकिन भारतीय टीम इससे कुछ ज्यादा परेशान नजर आई है.
हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि विशाखापट्टनम में गेंद बहुत ज्यादा स्विंग या सीम नहीं हो रही थी, जैसी मैनचेस्टर में 2019 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में हुई थी, या जैसी अक्सर वेलिंग्टन या न्यूजीलैंड में देखने को मिलती है. फिर भी भारत का टॉप ऑर्डर विशाखापट्टनम में ताश के पत्तों की तरह ढह गया. सिर्फ 10 ओवरों के अंदर भारत ने 5 विकेट गंवा दिये थे. इससे पहले मुंबई में 11 ओवरों में भारत ने 39 रन तक 4 विकेट गंवा दिये थे.
4 साल बाद भी बुरे हाल
चार साल पहले जब न्यूजीलैंड के खिलाफ वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में मैट हेनरी और ट्रेंट बोल्ट ने भारत को तहस-नहस किया था, तो उम्मीद थी कि अगले वर्ल्ड कप तक इस कमी को सुधारा जाएगा, लेकिन पहले मुंबई और फिर विशाखापट्टनम का हाल देखकर लगता नहीं कि कुछ सुधार हुआ है. जो बल्लेबाज दो महीने पहले श्रीलंका और न्यूजीलैंड के खिलाफ सपाट पिचों पर शतक और दोहरे शतक जमा रहे थे, उनके लिए हल्की-फुल्की हिलती गेंद ही उनका खेल खत्म होने के लिए काफी है.