मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा से 10 फीसदी मराठा आरक्षण को मंजूरी दे दी गई है। इसके बाद भी यह मसला थम नहीं रहा है और आंदोलनकारी मनोज जारांगे पाटिल ने अब केंद्र सरकार से दखल की मांग की है। मनोज पाटिल का कहना है कि सरकार ने अलग से 10 फीसदी कोटा मंजूर किया है, जिसे अदालत में खारिज भी किया जा सकता है। ऐसे में 10 फीसदी आरक्षण को ओबीसी कोटे में ही शामिल करना चाहिए। इसके लिए राज्य में ओबीसी आरक्षण की सीमा 19 से बढ़ाकर 29 फीसदी कर दिया जाए।
मनोज जारांगे पाटिल ने कहा, ‘मराठा विधायकों और मंत्रियों को डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को यह समझाना चाहिए कि जब समुदाय को ओबीसी का दर्जा मिल गया है तो फिर उन्हें उसी सूची में शामिल कर लेना चाहिए।’ पाटिल की यह मांग तब आई है, जब सीएम एकनाथ शिंदे ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा था कि उन्हें हद में रहना चाहिए। इसके बाद उन्होंने अपनी 17 दिनों की भूख हड़ताल को वापस ले लिया था। अब उन्होंने फिर से एक नई मांग रख दी है। बता दें कि मनोज जारांगे पाटिल के लंबे आंदोलन के बाद ही प्रदेश सरकार ने 20 फरवरी को विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाया था और मराठाओं के लिए 10 फीसदी कोटा मंजूर किया था।
इसके तहत मराठाओं को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी का आरक्षण मिलना है। इस कोटे को पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के बाद मंजूरी दी गई थी। इस रिपोर्ट को पूरे राज्य में सर्वे करने के बाद तैयार किया गया था। बता दें कि फिलहाल राज्य में जातिगत आरक्षण 52 फीसदी है। इसके तहत 13 फीसदी कोट अनुसूचित जाति के लिए है। 7 फीसदी आरक्षण जनजाति को मिलता है और 19 फीसदी कोटा ओबीसी वर्ग के लिए है। 2 फीसदी विशेष पिछड़ों, 3 पर्सेंट विमुक्त जाति और ढाई पर्सेंट मूल जनजाति को मिलता है। इसके अलावा 5.5 फीसदी कोटा कुछ और जनजातियों को मिलता है।
इसके अतिरिक्त 10 फीसदी आरक्षण कमजोर आय वर्ग के लिए है। इस तरह राज्य में कुल कोटा 72 फीसदी हो जाता है। इसमें से 62 फीसदी आरक्षण जातिगत तौर पर है। चीफ मिनिस्टर एकनाथ शिंदे ने मराठा कोटे वाले बिल को पारित कराते हुए कहा था कि तमिलनाडु में 69 फीसदी, हरियाणा में 67 फीसदी और बिहार में 69% जातिगत आरक्षण है। इसके अलावा गुजरात में 59 फीसदी आरक्षण दिया जाता है। इस तरह कुल 22 राज्य ऐसे हैं, जहां आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक है।